आगरा। आगरा शहर में कोविद-19 का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसके चलते कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के इंताजामात नाकाफ़ी दिख रहे हैं। इसे लेकर महापौर नवीन जैन ने शहर में कोरोना की स्थिति और जिला प्रशासन की लचर कार्यवाई से प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और मा. उपमुख्यमंत्री व आगरा जिला प्रभारी श्री दिनेश शर्मा जी को पत्र लिखकर अवगत कराया है। महापौर ने यह पत्र 21 अप्रैल को लिखा था जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पत्र में महापौर ने शहर में कोरोना के बिगड़ते हालात और आम जनमानस को होने वाली परेशानी के लिए सीधे-सीधे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। इस संबंध में महापौर नवीन जैन श्री दिनेश शर्मा जी से फ़ोन पर भी बात कर चुके हैं।
21 अप्रैल को मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और मा. उपमुख्यमंत्री व आगरा जिला प्रभारी श्री दिनेश शर्मा जी को भेजे इस पत्र में महापौर नवीन जैन ने लिखा कि “आगरा शहर में वैश्विक महामारी कोरोना के मरीजों की संख्या 313 तक पहुंच चुकी है, आशंका है कि यदि उचित प्रबंधन नहीं हुआ तो इस संख्या में काफी बढ़ोतरी हो सकती है और आगरा देश का वुहान बन सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने में स्थानीय प्रशासन नकारा साबित हुआ है। स्थानीय प्रशासन द्वारा हॉट स्पॉट एरिया में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही है, ना ही वहां मरीजों के लिए भोजन एवं पानी का उचित प्रबंधन किया जा रहा है। सरकारी हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों को छोड़ अन्य मरीजों को नहीं देखा जा रहा है, स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। डायलिसिस, अन्य जांचें व समुचित इलाज ना मिलने से मरीज मर रहे हैं जिसका उदाहरण सिकंदरा निवासी आरबीसी पुंडीर हैं। दवाइयां ना मिलने के कारण लोग परेशान हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल बंद है और जो मरीज गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है उनका उपचार भी नहीं हो पा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटलों के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है, धरातल पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। लॉक डाउन में आवश्यक सेवाएं खाद्य एवं रसद सामग्री (सब्जी, फल, दूध इत्यादि) के डोर स्टेप डिलीवरी के दावे तो किए गए, किंतु यह सभी आवश्यक वस्तुएं जनसामान्य तक समुचित ढंग से नहीं पहुंच पा रही हैं। जहां कहीं उपलब्ध है तो वहां जमकर कालाबाजारी हो रही है। आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को नहीं संभाल पा रहे हैं, वरिष्ठ अधिकारी अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। केवल 15-20 मिनट के लिए फोटोग्राफी कराने के उद्देश्य से बाहर निकलते हैं जिससे रिकॉर्ड रखा जा सके। इनके क्रियाकलापों की वजह से आम जनमानस भाजपा की सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को कोस रही है तथा आम जनमानस में काफी आक्रोश व्याप्त है। स्थानीय प्रशासन पंगु बना हुआ है जिसके कारण सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
मैं बहुत दुखी मन से आप को पत्र लिख रहा हूं कि मेरा आगरा अत्यधिक संकट के दौर से गुजर रहा है। आगरा को बचाने के लिए कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है। स्थिति अत्यधिक गंभीर हो चुकी है। इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरे आगरा को बचा लीजिए, बचा लीजिये।”