आगरा। स्वतंत्रता दिवस से एक दिवस पूर्व शहीद देवेंद्र सिंह बघेल के परिजन अपने बेटे की सम्मान के लिए जिला मुख्यालय पहुंचे लेकिन जिला मुख्यालय में जिला अधिकारी उन्हें नहीं मिले। काफी घंटो तक उन्होंने अपने परिवार के साथ जिलाधिकारी कार्यालय में इंतजार किया। शहीद के पिता नारायण सिंह अपनी पत्नी अपनी पुत्रवधू और पोते के साथ टकटकी लगा कर जिला अधिकारी का इंतजार करते रहे। इस बीच शहीद के पिता की आँखों से आंसू बहने लगे।
शहीद के परिजनों की आंखों से आंसू निकलता देख आसपास का माहौल भी गमहीन हो गया। लोग प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाने लगे। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से ऐसा लगा कि अधिकारी 3 महीने में ही शहीद देवेंद्र सिंह की शहादत को भुला बैठे हो। शहीद के पिता नारायण सिंह ने रोते हुए कहा कि कल स्वतंत्रता दिवस है। आजादी का दिन है और शहीदों के परिजनों के लिए इससे बड़ा कोई दिन नहीं है। लेकिन प्रशासन की कारगुजारी तो देखिए 3 महीने बीत जाने के बाद भी शहीद देवेंद्र सिंह की प्रतिमा नहीं लगी और ना ही उनका वीर स्थल बनाया गया। इतना ही नहीं स्वतंत्रता दिवस पर जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रम में शहीदों के परिजनों को बुलाया जाता है, उन्हें सम्मान दिया जाता है लेकिन जिला प्रशासन ने आजादी के जश्न में शामिल होने के लिए उन्हें सूचना तक नहीं दी।
जिला अधिकारी कार्यालय में शहीद के परिजनों के पहुंचने और उनके विलाप करने की सूचना आग की तरह फैल गई। जिससे जिला प्रशासन में भी हड़कंप मच गया। आनन-फानन में ADM- LO सत्य प्रकाश को शहीद के परिजनों से मिलने के लिए भेजा गया। ADM-LO ने शहीद के परिजनों की सारी बातों को सुना साथ ही जिला अधिकारी आवास पर जिला अधिकारी से मिलने का समय भी तय कराया।
भले ही जिला प्रशासन ने शहीद के परिजनों की बात सुन ली हो लेकिन शहीद की शहादत और उनकी याद में बनाए जाने वाले वीर स्थल और उनके गांव के पास लगने वाली प्रतिमा कब तक लग पाएगी, क्या शहीद के परिजनों को भी देश पर न्यौछावर होने वाले वीर सपूतों के सम्मान के लिए यूं ही दर-दर की ठोकरें खानी पड़ेगी, यह एक बड़ा सवाल सभी के सामने उठने लगा है।