आगरा। आपको बता दें अभी 3 दिन पूर्व ही आधार और एनआईसी के सॉफ्टवेयर में सेंध लगाकर राशन विभाग के दो दुकानदारों द्वारा करीब 800 कुंटल माल का घोटाला सामने आया था जिसमें आपूर्ति विभाग ने दो राशन कार्ड धारकों के खिलाफ तहरीर दी थी। इस मामले में दोषियों को तलाश कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
राशन विभाग में घोटाले का यह कोई पहला मामला सामने नहीं आया है। आपूर्ति विभाग के अत्यधिक सख्ती करने के बावजूद राशन दुकानदार कोई ना कोई तरीका निकाल ही लेते हैं जिससे वह गरीब जनता के लिए आए हुए राशन को अवैध रूप से बचाकर बाजार में बेच देते हैं। यह कोई छोटा मोटा कारोबार नहीं बल्कि एक बहुत बड़े राशन माफिया कारोबार के रूप में बदल गया है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है कि किस तरह राशन दुकानदार एवं राशन विभाग की मिलीभगत से गरीब जनता के राशन की कालाबाजारी और उनका हक मारा जा रहा है। हमारे संस्थान के रिपोर्टर राघवेंद्र गहलोत ने ट्रांस यमुना कॉलोनी में स्थित एक राशन की दुकान जिसका नाम ccs आगरा महिला उपभोक्ता सहकारी समिति है, को दिसंबर 2015 से मार्च 2017 तक दिए गए खाद्यान्न का विवरण क्षेत्रीय विपणन अधिकारी आगरा से एवं जिला खाद्य अधिकारी आगरा से सूचना के अधिकार की मदद से मांगा। जिसके जवाब में कई सच्चाई सामने आयी हैं।
सलंग्न रिपोर्ट में साफ़ पता चलता है कि किस तरह राशन विभाग की मदद से राशन दुकानदार प्रतिमाह करीब 90 से 100 कुंटल माल की कालाबाजारी कर अवैध रूप से राशन ले रहा है। इसके पीछे एक आधार से कई कार्ड पर लिंक करने का खेल सामने आया है। यह दुकानदार कई समय से इस खेल में शामिल है। अगर उक्त दुकान के कार्डों की जांच की जाए तो यहां भी एक बड़ा राशन घोटाला सामने आ सकता है।
आरटीआई के जवाब के बाद इस दुकान राशन घोटाले के सामने आने के बाद एक बात तो सिद्ध हो रही है कि इसमें राशन विभाग के अधिकारी एवं कई कर्मचारी संलिप्त हैं वरना बिना उनकी जानकारी के 90 से 100 कुंटल खाद्यान्न उस दुकानदार को कैसे आवंटित किया गया।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है या फिर जो जिला स्तर के अधिकारी और कर्मचारी ही घोटाले में संलिप्त हैं और अगर वही जांच अधिकारी हैं तो उनके खिलाफ कैसे कार्रवाई होगी।