- अग्रसेन भवन, लोहामंडी में चल रही श्रीराम कथा का राज्याभिषेक प्रसंग संग हुआ समापन
- श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर न्यास ने आयोजित की थी सात दिवसीय श्रीराम कथा
- कथा व्यास अतुल कृष्ण बोले भक्ति के ध्रुव तारे हैं श्रीप्रेमनिधि जी, मंदिर में साक्षात विराजित बिहारी जी
- अंतिम दिन सैंकड़ों भक्तों ने किया श्रीराम कथा का रसपान, भजनों के साथ प्रसादी का आनंद
आगरा। श्रीराम चरित मानस के सात काण्डों का सात दिवसीय कथा में श्रवण कर भक्तों ने भरपूर भक्तिरस का आनंद लिया। लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में श्रीप्रेमनिधि मंदिर न्यास द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा का समापन हो गया।
मुख्य यजमान सुमन एवं ब्रजेश सूतैल, दैनिक यजमान रजनी एवं राजेश खंडेलवाल, श्रीप्रेमनिधि मंदिर के मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी, मंदिर प्रशासक दिनेश पचौरी, सीमा पचौरी ने व्यास पूजन किया।
अंतिम दिन सीता हरण, लंका दहन, रावण वध संग श्रीराम राज्याभिषेक के प्रसंग हुए। कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भक्त शिरोमणि श्रीप्रेमनिधि जी की भक्ति गाथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भक्त से भगवान की पहचान बहुत कम ही होती है। श्रीभक्तमाल में भी आगरा निवासी महान भक्त श्रीप्रेमनिधि जी का वर्णन है। उनकी भक्ति भाव से प्रसन्न होकर ही ठाकुर जी उनके लिए मशालची तक बन गए। नाई की मंडी स्थित ठाकुर श्याम बिहारी जी के मंदिर को श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है। ये भक्ति की कीर्ति ही तो है। श्रीप्रेमनिधि जी भक्ति के ध्रुव तारे हैं।
कथा प्रसंग में उन्होंने जटायु के प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि जो दूसरों की सेवा में लगा रहता है। उसकी चिंता स्वयं भगवान करते है। जैसे जटायु ने मां सीता की रक्षा के लिए अपनी प्राणाें को न्योछावर किया तो प्रभु श्रीराम ने एक अधम पक्षी गिद्ध जाति को उठाकर अपने गोदी में बैठा कर सीने से लगाया जिस का परिणाम श्री तुलसी दास जटायु को मानस में परम बड़भागी कहा और जटायु ने भगवान के विमान से सीधे स्वर्ग में स्थान प्राप्त किया। श्रीराम ने यह जानते हुए कि शबरी भीलनी जाति की है इसके बावजूद उसके जूठे बेरों को खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। भगवान की साधना में जाति पाति का भेदभाव नहीं होता है। भगवान ने शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश दिया। व्यास जी ने कहा कि हनुमान जी द्वारा लंका दहन की लीला प्रसंग का बखान करते हुए व्यास जी ने कहा कि अपनी विस्मृत स्मृति को पुनः जागृत कर पवन पुत्र हनुमान जी ने अपने प्रभु श्री राम के प्रति निष्ठा को लंका दहन के माध्यम से पूर्ण किया। दास भाव के कारण हनुमान जी आज जगत में सर्वाधिक पूजनीय है। विश्व भर में हनुमान जी के सबसे अधिक मंदिर प्रतिष्ठित है।
भगवान ने सुग्रीव मिलन, बालि, रावण, कुंभकर्ण वध के प्रसंग के माध्यम से समाज को संदेश दिया कि अधर्म कितना भी मजबूत हो अंत में उसे पराजित होना पड़ता है और अधर्म पर धर्म की विजय सदैव होती है। श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग के साथ कथा विश्राम हुआ।
इस अवसर पर सांसद राजकुमार चाहर, विजय लक्ष्मी चाहर, संतोष शर्मा, ललिता शर्मा, श्याम भदौरिया, अनंत दास अनुदास, अखिलेश अग्रवाल, सुरेश पचौरी, मनीष अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल, राधारानी पचौरी, प्रकाश धाकड़, मोहित वशिष्ठ, मनीष गोयल, सत्येंद्र यादव, संजीव जैन, जुगल किशोर, नवीन प्रजापति, सचिंद्र शर्मा, किशोर गोयल, रामबाबू गुप्ता आदि ने महा आरती की।