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सैकड़ों लोगों की जिन्दगी बचाने वाला व राष्ट्रपति से सम्मानित शहंशाह का घर तोड़ेगा रेलवे

by admin
Railway will break the house of emperor who saved the life of hundreds and honored President

Agra. यमुना में डूबने वाले लोगों की जिंदगी बचाने वाला शहंशाह आज अपने घर को बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। रेलवे की ओर से आये एक फरमान ने शहंशाह और उसके परिवार के होश उड़ा दिये हैं। इस फरमान के बाद लोगों की जिंदगियां बचाने वाला शहंशाह समझ नहीं पा रहा कि वो अपने परिवार को बेघर होने से कैसे बचाये। रेलवे विभाग की ओर से रेलवे की जमीन पर बने 22 लोगों को जमीन खाली करने के निर्देश दिए गए है जिसमें से एक शहंशाह का घर भी है।

महज 24 वर्ष के शहंशाह ने तैराकी अपने पिता बिस्सा गुरु से सीखी है। बरसात के दिनों में बाढ़ के दौरान यमुना का जलस्तर और भी बढ़ जाता है। बढ़ते जलस्तर के दौरान देखने वाले और यमुना में नहाने वाले जब लोग बह जाते हैं तब ये शहंशाह अपनी जान जोखिम में डाल उनकी जान बचाता है। अब तक सैकड़ों लोगों की जिंदगियां बचाने वाले शहंशाह को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी वीरता पुरस्कार से नवाजा है। शहंशाह को तैराकी के बल पर मिले पुरस्कारों में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार और जीवन रक्षा पदक जैसे सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा गया है। कभी मीडिया की सुर्खियां बने शहंशाह के सामने आज उसका घर टूटने जा रहा है।

आगरा फोर्ट और यमुना ब्रिज के बीच लगभग 130 सालों से एक रेलवे पुल के जरिए से ही रेलगाड़ियों का संचालन किया जा रहा है। समय-समय पर रेलवे ने इस रूट पर ट्रेनों को भी बढ़ा दिया है। एक रेलवे पुल होने के चलते दूसरी ट्रेनों को आगरा फोर्ट या यमुना ब्रिज पर इंतजार करना होता था लेकिन बिजली विभाग इस इंतजार को खत्म करने की कवायद करने में जुटा हुआ है। रेलगाड़ियों के बेहतर संचालन और रेल के संचालन व समय की बचत के लिए रेलवे की ओर से आगरा फोर्ट और यमुना ब्रिज के बीच एक और नए रेलवे पुल का निर्माण करने जा रहा है। जिसके लिए भूमि की आवश्यकता है। यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन से पूर्व रेलवे पुल के नीचे मोती महल नामक घनी बस्ती है, यहां इस बस्ती में रहने वाले लगभग 22 लोगों को रेल अधिकारियों ने नोटिस भेजकर अपना घर हटा देने के निर्देश दिए हैं। रेल अधिकारियों ने अगले 15 दिनों के अंदर जगह को पूरी तरह से खाली करने या फिर महाबली की सहायता से खाली किए जाने का ऐलान भी किया है।

शहंशाह और उसके परिजनों ने बताया कि वर्ष 1978 से पूर्व यमुना की तराई में रहने वाले बड़ी संख्या में लोगों को यमुना में बाढ़ आ जाने के चलते ऊपरी क्षेत्र में स्थापित किया गया था। यमुना के ऊपरी क्षेत्र में स्थापित किए जाने की प्रक्रिया तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने निभाई थी। आज भी यहां पुनर्स्थापित हुए लोगों के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सराहना की जाती है।

शहंशाह और अन्य पीड़ितों का कहना था कि रेल संचालन की प्रक्रिया को और गति देने की मंशा से यमुना नदी पर नया पुल बनाया जाना ठीक है लेकिन इसके लिए मोती महल में रहने वाले 22 लोगों को बेघर कर देना ठीक नही है।

पीड़ितों का कहना है कि अधिकांश हर रोज कमाने वाला श्रमिक वर्ग ही निवास करता है। यहां रहने वाले लोगों के सिर पर महज एक ही छत है जो अब कुछ ही दिनों के बाद उनके सर से दूर होने जा रही है। जिन लोगों को रेलवे का नोटिस प्राप्त हुआ है उन लोगों का कहना है कि सरकार एक और गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का सपना दिखा रही है तो यहां दूसरी ओर सरकार का एक और चेहरा सामने आया है। हम लोगों को यहां से बेघर करने और दूसरा कोई स्थान न देने का दर्द उन्हें हमेशा याद रहेगा।

रेलवे का नोटिस मिलने के बाद शहंशाह और उसके पिता का कहना था कि उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि जिंदगी में उन्हें ऐसा दिन देखना पड़ेगा कि लोगों की जान बचाने वाला अपने ही घर को टूटने से नहीं बचा पाएगा और अपनी आंखों से अपने परिजनों को बेघर होता हुआ देखेगा। फिलहाल शहंशाह ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि वह रेलवे पुल का निर्माण करें लेकिन उनके घरों की आहुति इसमें ना दी जाए।

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