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आगरा में गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू, शहर में तैयार की जा रहीं 21 फुट की इको फ्रेंडली प्रतिमा

by admin
Preparations for Ganesh Chaturthi started in Agra, a 21-foot eco-friendly statue being prepared in the city

आगरा। गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू। शहर में तैयार की जा रहीं 21 फुट तक की प्रतिमा।

जन्माष्टमी पर्व की धूम खत्म होते ही शहर में गणेश चतुर्थी के रंग में सराबोर नजर आ रहा है। गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमाएं बना रहे हैं। यह प्रतिमा इको फ्रेंडली है जो पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेंगी तो वही भगवान श्री गणेश जी शहर वासियों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश देते हुए नजर आएंगे। भगवान श्री गणेश की मूर्ति बनाते वक्त मूर्तिकार भी श्रद्धालुओं की आस्था का पूरा ध्यान रख रहे हैं ऐसा ही कुछ नजारा आजकल सदर बाजार और नाम लेट चित्र में दिखाई दे रहा है।

नंद टॉकीज से नौलक्खा की ओर जाने वाले मार्ग पर तैयार हो रही है 21 फुट की प्रतिमा

आगरा की मूर्तिकार लोकेश राव थोरात और नीलेश राव थोरात नौलक्खा सदर बाजार समिति के लिए 21 फुट कि भगवान श्री गणेश की मूर्ति बना रहे हैं। इस मूर्ति को बनाने के लिए उनका साथ नागपुर के मूर्तिकार भी दे रहे हैं। लेकिन यह मूर्ति लोकेश राव थोरात और उनके भाई के निर्देशन में ही बनाई जा रही है।

इस मूर्ति की खासियत है कि यह मूर्ति पूरी तरह से इको फ्रेंडली है तो वही श्रद्धालुओं की आस्था का पूरा ध्यान रखते हुए इस मूर्ति को पंचगव्य से तैयार कराया जा रहा है।

मूर्तिकार लोकेश राव थोरात और नीलेश राव थोरात का कहना है कि जिस तरह से हमारा शरीर पंचगव्य से बना है उसी तरह से भगवान श्री गणेश की मूर्ति बनाई जा रही है। श्री गणेश की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी, लकड़ी, घास के साथ इको फ्रेंडली चीजों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

नागपुर के मूर्तिकारो का भी है सहयोग

मूर्तिकार लोकेश राव थोरात और नीलेश राव थोरात ने बताया कि इस मूर्ति को सबसे अलग और आकर्षित बनाने के लिए बनाया जा रहा है। इस मूर्ति में नागपुर के मूर्तिकार भी सहयोग कर रहे है। पिछले एक महीने से दिन रात इस मूर्ति को तैयार किया जा रहा है।

प्रभु श्री गणेश के मुकुट के ऊपर आदिशक्ति यानी दुर्गा माँ है तो नीचे पैरों तले भी छोटी छोटी मूर्तियां है और इसके अलावा भी राक्षस और देवी देवताओं की छोटी मूर्तियां बनाई जाएंगी। नागपुर के मूर्तिकार कमल प्रजापति ने बताया कि यह प्रतिमा आर्डर पर तैयार की जा रही है जो सबसे ऊंची और पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।

मटकी में भरे जा रहे है पौधों के बीज

आगरा के मूर्तिकार लोकेश राव थोरात और नीलेश राव थोरात ने बताया कि इको फ्रेंडली यह प्रतिमा पूरी तरह से मिट्टी की बनी है और रंग भी इको फ्रेंडली किये जायेंगे जिससे विसर्जन के दौरान मूर्ति मिट्टी होने के कारण पानी मे घुल जाएगी वही रंग भी नदी को नुकसान नहीं पहुचायेंगे।

मूर्तिकार लोकेश राव थोरात ने बताया कि इस प्रतिमा की खासियत यह है कि इस प्रतिमा में बनी एक मटकी में पौधों के बीज भी डाले गए है जो विसर्जन के बाद अंकुरित हो गए और पौधे बनेंगे। आगरा के मूर्तिकार लोकेश राव थोरात

महंगी प्रतिमा में शामिल होगी यह प्रतिमा

आगरा के मूर्तिकार लोकेश राव थोरात और नीलेश राव थोरात भले ही इस मूर्ति को आर्डर पर बना रहे हो लेकिन यह प्रतिमा भी महंगी प्रतिमा में सुमार होंगी। मूर्तिकारों ने बताया कि इस प्रतिमा की कीमत भी दो लाख से अधिक होगी।

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