आगरा। कोरोना संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है जिसके कारण लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है। प्रदेश की योगी सरकार से लेकर आगरा जिला प्रशासन कोरोना मरीजो की बढ़ती चैन को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन कुछ जिम्मेदार लोगों ने कोरोना संक्रमण को कम करने की बजाए फैलाने की ठान ली है जिसका जीता जागता सबूत रामबाग पुल के नीचे पड़ी हुई पीपीई किट हैं, जिन्हें इस्तेमाल करके फेंक दिया गया है।
एक तरफ ऑक्सीजन की कमी ने लगातार शहर की जनता को झखझोर कर रख दिया है। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। शमशान में जलती चिताओं को देख कर आखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे है। अपनो को खोता देख आज मन दिल ही दिल मे रो रहा है। हाय ये कैसी महामारी जिसने आज अपनो को ही छीन लिया है। बाप बेटे की अर्थी को लेकर जा रहा है। बेटा बाप की अर्थी को लेकर जा रहा है, पति पत्नी की अर्थी को लेकर जा रहा है तो पति का शव देख कर पत्नी का रो रो कर बुरा हाल हुए जा रहा है। यह मंजर है। इसके बाबजूद जिम्मेदार लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
मामला थाना एत्माउद्दौला के रामबाग पुल के नीचे का है जहां इस्तेमाल की हुई पीपीई किट हॉस्पिटलों द्वारा फेंकी जा रही है। यह लापरवाही आगरा शहर में कितना संक्रमण फैला सकती है इसका अंदाजा फिलहाल अभी किसी को नहीं है। पीपीई किट के पास पड़े कूड़े को बीनते हुए मासूम भी देखे जा रहे हैं। अगर संक्रमण इसी पीपीई किट से फैला तो यह कितने लोगों को संक्रमित करेगा इसका अंदाजा लगा पाना मुमकिन ही नही नामुमकिन है। यह एक छोटी सी लापरवाही आखिर इस मोहब्बत की नगरी को बेमुरब्बत की तरफ ले जाने को मजबूर कर रही है।
एत्माउद्दौला क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक कोविड अस्पताल संचालित है। अगर यह पीपीई किट उन्ही में से किसी हॉस्पिटल द्वारा फेंकी जा रही होगी तो यह अब तक कितने लोगों को संक्रमित कर चुकी होगी इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन ऐसी लापरवाही करने वाले हॉस्पिटल संचालकों के खिलाफ आखिर क्या कार्यवाही करता है।