Home » एत्मादपुर का पोइया गाँव 40 साल से देख रहा है विकास की राह, नारकीय जीवन जीने के मजबूर ग्रामीण

एत्मादपुर का पोइया गाँव 40 साल से देख रहा है विकास की राह, नारकीय जीवन जीने के मजबूर ग्रामीण

by admin
Poia village of Etmadpur is seeing the path of development for 40 years, villagers forced to live hellish life

आगरा। आजादी को मिले हुए भले ही 75 वर्ष पूरे हो गए हो लेकिन कुछ गांव ऐसे भी है जो विकास के लिए तरस रहे हैं। उनमें से एक गांव पोइया भी है जो एत्मादपुर विधानसभा में आता है। आजादी मिलने के कुछ सालों बाद गांव में विकास कार्य हुआ था लेकिन अब तस्वीर दूसरी है। काफी जोर आजमाइश के बाद गांव में नाली खरंजे बने लेकिन वो भी आधा अधूरे हैं जिसके कारण अधिकतर ग्रामीणों नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में तो लोगों का घर से निकलना दूभर हो जाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत तो लोगों को उस समय होती है जब गांव में किसी की मृत्यु हो जाये और उसे शमशान घाट ले जाना हो। लोग बताते है कि मार्ग कच्चा और निकासी न होने से जलभराव हो जाता है और लोगों को उसी में से होकर निकलना पड़ता है जबकि इस मार्ग के निर्माण के लिए कई बार गुहार लगाई जा चुकी है।

दशकों पहले बना हुआ खरंजा पूरी तरह से टूट चुका है। कई बार क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया कुछ नहीं हुआ। 40 वर्ष बाद इस पंचायत के लिए रोड स्वीकृत हुई। 400 मीटर की यह रोड शकील के मकान से प्राइमरी स्कूल तक बननी थी लेकिन अब इसमें भी कटौती हो गई है। इस गांव के जो प्रधान है, उन्होंने केवल ढाई सौ मीटर सीसी सड़क बनवाने का कार्य किया है जो अभी भी अधूरा पड़ा है।

Poia village of Etmadpur is seeing the path of development for 40 years, villagers forced to live hellish life

क्षेत्रीय लोग इस बात को लेकर काफी परेशान हैं। उनका कहना है कि यहां अधिकतर किसान और मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं जो अशिक्षित भी है। इसलिए अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ पाते और इस नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

लगभग 40 साल बाद क्षेत्र में सड़क के निर्माण से लोग काफी उत्साहित थे। उन्होंने सोचा था कि शायद अब क्षेत्र का विकास हो जाएगा लेकिन यहां भी प्रधान की मिलीभगत के चलते स्वीकृत हुई सड़क में भी कटौती हो गई। इस मामले को लेकर आधुनिक समाज सुधार समिति ने कई बार तहसील दिवस के साथ-साथ प्रशासन अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए हैं लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है जिससे यहाँ के वाशिंदों ने अब क्षेत्र में विकास होने की उम्मीद छोड़ दी है।

क्षेत्रीय लोग का कहना है कि गांव विकास के लिए तरस रहा है। कोरोना की लहर में तो हालात विपरीत हो गए। जब सरकार कोरोना से बचने के लिए लोगों को घर से बेवजह बाहर न निकलने की हिदायत दे रही थी उस क्षेत्र में जलभराव लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा था। एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत का अभियान चला रही है तो दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन व भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधि इसका मख़ौल उड़ा रहे हैं।

Related Articles