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गर्भपात संबंधी कानून – 2017 में हुए संशोधन को लेकर चिकित्सकों ने किया जागरूक

by admin
Physicians made aware about the amendment in the abortion law - 2017

आगरा। नेशनल मेडिको आर्गेनाईजेशन के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मनु पटेल ने भारतीय संसद द्वारा गर्भपात संबंधी कानून -2017 में हुए संशोधनों पर जन जागृति हेतु संगोष्ठी का आयोजित की। इसके माध्यम से एनएमओ एवं चिकित्सक बंधुओं द्वारा माताओं एवं समाज को जागरूक करने का प्रयास किया गया। संगोष्ठी में एनएमओ के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता, शहर अध्यक्ष डॉ. अभिलाषा प्रकाश, सचिव डॉ भूपेंद्र चाहर, डॉ. दिनेश राठौर संगठन सचिव, कोषाध्यक्ष डॉक्टर करण रावत एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ मनु पटेल ने अवगत कराया कि 1971 से पूर्व भारत में गर्भपात संबंधी कोई कानून न होने के कारण, गर्भपात कानूनी रूप से अवैध था। संसद के द्वारा पारित गर्भपात संबंधी कानून 1971 के पश्चात गर्भपात के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए। जिससे गर्भपात की प्रक्रिया को सुरक्षित किया जा सके। इस कानून के अनुसार यदि भ्रूण में ऐसा कोई विकार है जिसके कारण उसका जीवित रह पाना कठिन है या फिर उसके कारण उसकी माता के जान को जोखिम हो, गर्भनिरोधक उपायों के असफल होने के कारण गर्भधारण हो, किसी महिला के साथ बलात्कार के कारण हो तो ऐसी स्थितियों में ही गर्भपात किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष 220 लाख गर्भपात होते हैं जिसमें से 70 लाख प्रतिवर्ष गर्भपात केवल भारत में होते हैं। भारत में होने वाले समस्त गर्भपातों में 50% गर्भपात असुरक्षित एवं अवैध होते हैं। इसका मुख्य कारण गर्भपात संबंधी कानून 1971 के विषय में जन सामान्य को जानकारी न होना एवं विशेषज्ञों की कमी का होना है। माताओं में होने वाली कुल मृत्यु का 8% गर्भपात संबंधी कारणों से होता है। दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश में प्रत्येक 1 लाख गर्भवती महिलाओं में से 160 माताओं की मृत्यु होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार के द्वारा उद्देश्य निर्धारित किया गया है कि भारत में प्रति एक लाख में केवल 70 से कम गर्भवती माताओं की जान को जोखिम हो।

संगोष्ठी में डॉ. पवन गुप्ता द्वारा अवगत कराया गया के जनजागृति के अभाव में असुरक्षित गर्भपात होते हैं जो अधिकांश सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं। जानकारी के अभाव में गर्भपात के लिए विवाहित दंपत्ति झोलाछाप डॉक्टरों को संपर्क करता है अथवा बिना किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के गर्भपात संबंधी औषधि का सेवन करते हैं। जिसके कारण स्वास्थ संबंधी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। डॉ भूपेंद्र चाहर द्वारा बताया गया कि जनसामान्य ही नहीं चिकित्सकों के बीच में भी गर्भपात संबंधी विषय में जागरूकता की भारी कमी है। इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

डॉक्टर दिनेश राठौर ने बताया कि चिकित्सक के द्वारा गर्भपात संबंधी समस्त जानकारी गोपनीय रखी जाती है, जिसको यह प्रक्रिया हेतु आने वाली लाभार्थी महिला की सहमति के बिना किसी को नहीं बताया जा सकता। डा. अभिलाषा प्रकाश द्वारा बताया गया कि गर्भपात केवल गर्भपात के लिए प्रशिक्षित इसी रोग विशेषज्ञ तथा चिकित्सक द्वारा किया जा सकता है। गर्भपात किसी सरकारी चिकित्सालय अथवा प्राइवेट प्रतिष्ठान जो इस कार्य हेतु मान्यता प्राप्त है, उसके द्वारा ही किया जा सकता है। अवैध गर्भपात की स्थिति में कानून में कड़े प्रावधान हैं जिसके अंतर्गत कारावास एवं अर्थदंड हो सकता है। अतः प्रशिक्षित चिकित्सक तथा सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त सुरक्षित चिकित्सालय में ही गर्भपात कराया जाए।

डॉ. करण रावत द्वारा अवगत कराया गया के असुरक्षित एवं अवैध गर्भपात की सबसे बड़े कारण लाभार्थी के मन में गोपनीयता भंग होने का भय, लोकलाज तथा इस प्रक्रिया में आने वाले खर्चे होते हैं। इस प्रक्रिया में लाभार्थी की सूचना गोपीनीय रखी जाती है तथा सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। अतः सभी से अपील की गई कि गर्भपात संबंधी कानून 1971 अद्यतन संशोधित के प्रावधानों के अंतर्गत सुरक्षित एवं वैध गर्भपात कराएं। जिससे माताओं के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके और मातृत्व मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सके।

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