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कोरोना काल में बढ़ सकती है बाल मजदूरों की संख्या, बच्चों के उत्थान को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की ज़रूरत

by admin

मथुरा। एक और जँहा पूरा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से भयभीत है। वहीं दूसरी भारत में बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की आशंका ने शासन, प्रसाशन, समाजसेवी संस्थाओं आदि के माथे पर चिंता लकीरें ला दी है। जिसको ध्यान में रखते हुए चाइल्ड लाइन मथुरा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस के अवसर पर बाल श्रमिकों की संख्या को रोकने और बच्चों के उत्थान पर बेबिनार के माध्यम से चर्चा की। इस चर्चा में पुलिस विभाग, सामाजिक संस्थाए, चाइल्ड लाइन, बुद्धिजीवी सहित 90 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा कहा गया कि बाल श्रम भारत मे एक कोढ़ के रूप में है जिससे दूर करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत मे बाल श्रमिकों की संख्या 1 करोड़ है जबकि अन्य आंकड़े इसे 5 करोड़ तक बताते हैं। क्योंकि अभी कोरोना काल चल रहा है तो अब बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ने का ख़तरा बढ़ गया है। क्योकि बच्चे सस्ते मजदूर होते है और एक वयस्क से अधिक कार्य करते है। अतः सरकार, सामाजिक संस्थाओं और प्रशासन को मिलकर ऐसे बच्चो को चिन्हित करना चाहिए जिनके बाल श्रमिक बनने की सम्भवनाये हो तथा उनके उत्थान की व्यवस्था करनी चाहिए।

जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसायटी अध्यक्ष सतीश चन्द्र शर्मा एवं बाल कल्याण समिति मथुरा द्वारा कहा गया कि चाइल्ड लाइन द्वारा अच्छा कार्य किया जा रहा है। मथुरा शहर एक धार्मिक नगरी है और यहां बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ने की पूर्ण संभावना है। यहाँ बच्चों को भीख मांगने के काम पर लगाया जा सकता है। मथुरा में भगवान कृष्ण के वस्त्र तथा मुकुट बनाने का कार्य भी होता है तो इस कार्य में भी बच्चों के काम करने की संभावना बढ़ सकती है। जिला प्रशासन के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम चलाएं जाए। प्रशासन, चाइल्ड लाइन मिलकर एक ऐसी योजना बनाएं जिससे बच्चो की शिक्षा भी जारी रहे और वह बाल मजदूर बनने से भी बचे।

संजय गुप्ता निदेशक चेतना, वाइस प्रेसिडेंट NACG EVAC India ने कहा कि प्रवासी मजदूर वापिस अपने घर लौट आये है और इसमें सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में लौटे प्रवासी मजदूरों की है। चूंकि अभी लगभग सभी कार्य बन्द है अतः यह प्रवासी मजदूर अपने कार्य की व्यवस्था करेंगे या पुनः लौटने का प्रयास करेंगे। किंतु यह अपने परिवार को साथ नही ले जाएंगे। इसलिय जो बच्चे जो घर पर होंगे उनका बाल मजदूरी में जाना संभवित है। बच्चो के स्कूल बंद हो गए। वर्तमान में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। किंतु आज भी हमारे देश मे ऐसे बच्चे जिनके पास दो वक्त की रोटी भी मुनासिब नहीं है। वह सरकारी स्कूल जाते है और पढ़ाई के साथ साथ भोजन भी मिलता है। अतः इन बच्चो का भी बाल मजदूर बनना सम्भावित है। अतः चाइल्ड लाइन एवं अन्य समाज सेवी संस्थाओं को जो भी नया बच्चा दिखे उसका डाटा बनाये। जिला प्रसाशन के साथ उसे साझा करें जिससे उन बच्चो के उत्थान पर कार्य हो सके। बालहित में सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं को दर्शनीय करना होगा। जिससे प्रत्येक व्यक्ति को योजना की जानकारी हो और अधिक अधिक से बच्चे लाभ ले सके।

पुलिस विभाग से योगेश कुमार ने बताया कि बालश्रम के मामलों में पुलिस सदैव सतर्क और सजग है। अगर इस प्रकार के मामले सामने आएंगे तो आरोपियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही नियमानुसार की जाएगी। कोरोना काल में बाल श्रम के मानव तस्करी भी की जाने की सम्भवना है। जिसके चलते पुलिस द्वारा निरंतर चैकिंग की जा रही है जोकि भविष्य में भी जारी रहेगी।

चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर नरेन्द्र परिहार ने बताया कि कोरोना काल में चाइल्ड लाइन के पास राशन, बाल विवाह, बाल शोषण से सम्बंधित कॉल अत्यधिक सँख्या में आ रहे है। इन बच्चों के माता पिता के आय के स्त्रोत बन्द हो गए है। अतः इन बच्चों के बाल श्रमिक बनने की सम्भावनाओं को बल मिला है। चाइल्ड लाइन द्वारा ऐसे बच्चों की सूची तैयार की जाएगी और सरकार द्वारा बाल हित के लिए चलाई जा रही योजनाओं से जोड़ा जाएगा जिससे बच्चों को बाल श्रमिक बनने से रोका जा सके।

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