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आगरा सहित 6 जिलों में पिछले 4 सालों से नहीं लगा कोई नया उद्योग, ‘एडीएफ’ ने की मोदी-योगी से हस्तक्षेप करने की मांग

by admin

आगरा। वायु प्रदूषण के नाम पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने उद्योगों की स्थापना व विस्तार (व्हाईट कैटेगरी को छोड़कर) 8 सितम्बर 2016 को 10400 वर्ग किलोमीटर में फैले 6 जनपद आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, एटा, हाथरस एवं भरतपुर टीटीजेड क्षेत्र में रोक लगा दी थी और चार वर्ष बीतने के बाद आज भी इन उद्योगों को लगाये जाने की अनुमति नहीं है। इन 4 वर्ष तक लगे प्रतिबन्ध से वायु गुणवत्ता में कोई अधिक सुधार नहीं हुआ है क्योंकि यह वायु प्रदूषण उद्योगों के द्वारा जनित नहीं था बल्कि अन्य चीजों से हो रहा है। सोमवार को टीटीजैड क्षेत्र में उद्योगों पर लगी रोक की चौथी बरसी पर आगरा डवलपमेन्ट फाउन्डेशन (एडीएफ) के अध्यक्ष पूरन डाबर एवं सचिव के.सी जैन द्वारा देश के प्रधानमन्त्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को मेल व पत्र भेजकर के इस स्थिति के समाधान हेतु तुरन्त हस्तक्षेप करने की मांग की है।

टीटीजैड क्षेत्र में देश की लगभग 1 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। पर्यटन नगरी आगरा में होटल की अनुमति नहीं है, जूता नगरी होने पर भी जूता फैक्ट्री लगाने की अनुमति नहीं है, आलू बेल्ट है लेकिन कोल्ड स्टोरेज को भी न है। प्रधानमन्त्री आवास योजना में भी आवासीय भवन अनुमति के अभाव में नहीं बन सके हैं। पर्यावरणीय मानकों के अनुसार कार्य करने के उपरान्त भी औद्योगिक इकाईयों को भी स्थापित नहीं किया जा सकता है। परिणाम यह है कि उद्यमियों और श्रमशक्ति के मध्य घोर निराशा व्याप्त है। इन 4 वर्ष तक लगे प्रतिबन्ध से वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ क्योंकि यह वायु प्रदूषण उद्योगों के द्वारा जनित नहीं था।

एडीएफ के अध्यक्ष पूरन डाबर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीटीजैड क्षेत्र के लिये निर्णय लेते हुए 30.12.1996 में उद्योगों और पर्यावरण दोनो को साथ-साथ चलने की बात कही गयी लेकिन निर्णय के विपरीत गैर प्रदूषणकारी उद्योगों पर भी केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने व्हाईट कैटेगरी को छोड़कर सभी उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार पर रोक लगा दी और यह रोक बिना किसी कार्यालय आदेश या पर्यावरण संरक्षण नियमावली प्रक्रिया पूरे किये बिना लगाई गई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में 11 दिसम्बर 2019 को गैर प्रदूषणकारी उद्योगों की अनुमति प्रदान कर दी गयी लेकिन फिर भी स्थिति अस्पष्ट बनी हुयी है। इस बात की जरूरत है कि केन्द्र सरकार व राज्य सरकार बैठकर इसका समाधान निकालें और अनावश्यक रूप से बार-बार सुप्रीम कोर्ट न जायें।

एडीएफ के सचिव व अधिवक्ता के.सी जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उद्योगों की स्थापना पर कोई रोक नहीं लगायी गयी है अपितु पर्यावरण एवं गैर प्रदुषणकारी उद्योगों दोनों की बात को ही आगे बढ़ाने के लिए कहा है। आगरा जैसे शहर में यदि होटल, अस्पताल, शीतग्रह, जूता उद्योग और हाउसिंग प्रोजेक्ट नहीं होंगे तो आखिर शहर कहां जायेगा। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि होटल, हाॅस्पीटल, जूता उद्योग आदि योजनायें आगरा में पिछले 4 वर्षों में नहीं लग सकी हैं जिससे उद्यमी और युवाशक्ति का पलायन शहर से हो रहा है जो कि अत्यन्त दुःखद है। केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा गैर औद्योगिक गतिविधियों का क्लासिफिकेशन 30.04.2020 को कर दिया गया है जिसके अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिये। वर्ष 1996 से प्रदूषणकारी उद्योगों पर रोक लगी हुई है।

एडीएफ की ओर से यह बात भी अपने पत्र में रखी गयी कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए अनावश्यक बंदिशों को समाप्त करना होगा तभ हम लोकल से ग्लोबल बन सकेंगे। मात्र ऑनलाइन फेसिलिटी से कुछ नहीं होगा जब तक कि नीतियां स्पष्ट नहीं होगीं।

भेजे गये पत्र में निम्न मांगें रखीं गयी हैं-

1- आई0आई0टी0 कानपुर द्वारा ताजमहल पर प्रदूषणकारी तत्वों की अध्ययन रिपोर्ट (फरवरी 2019) की सिफारिशों को तुरन्त लागू किया जाये। इसमें उद्योगों को नहीं अपितु सड़कों, वाहनों व यातायात प्रबन्धन को दोषी ठहराया गया है।

2- उ0प्र0 प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा बनाये गये एअर एक्शन प्लाॅन (जून 2019) को पूरी तरह लागू किया जाये।

3- चार वर्षों से निरन्तर चली आ रही गैर प्रदूषणकारी उद्योगों पर रोक तुरन्त समाप्त हो। जो भी उद्योग पर्यावरणीय मानकों के अनुसार कार्य करते हैं उनको अनुमति होनी चाहिये और यदि वह अवहेलना करते हैं तो उन पर कार्यवाही हो।

4- केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के आदेश दिनांक 30.04.2019 के अनुसार गैर औद्योगिक गतिविधियोें जैसे होटल, हाॅस्पीटल, एअरपोर्ट, एसटीपी, निर्माण परियोजनाओं को उद्योगों के समान न माना जाए और उनकी अनुमति बिना बाधा के नियमानुसार दी जाये।

5- हर मामले में अर्थात् केस-टू-केस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ना जाया जाये अपितु यदि आवश्यक हो तो स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाकर स्वीकृत करायी जाये।

6- नीरी द्वारा बनाये गये टीटीजैड एनवायरमेन्ट मैनेजमेन्ट प्लाॅन (दिसम्बर 2013) के अनुसार टीटीजैड अथाॅरिटी का सशक्तिकरण किया जाये जिसके अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव एवं केन्द्र के केबिनेट सचिव की अध्यक्षता में यह प्राधिकरण हो।

7- आगरा के लिये एक हाईपावर्ड स्पेशल परपज व्हीकल बनना चाहिये जो सभी विभागों के मध्य समन्वय करे एवं जिसमें पर्याप्त डेडीकेटेड कर्मचारी व अधिकारी हों।

8- समस्त टीटीजैड में वनावरण लगभग 3 प्रतिशत है जिसको बढ़ाने के लिये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा दिया जा सके ताकि किसानों की आमदनी भी बढ़ सके और हरियाली भी जो कि वायु प्रदूषण को कम कर सकेगी।

9- टीटीजैड से सम्बन्धित अनेकों अध्ययन व रिपोर्ट हैं किन्तु उनकी सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है जो कि वायु प्रदूषण में कमी ला सकती है उन्हें लागू किया जाना चाहिये।

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