Agra. ताजमहल तेजोमहालय है यानी शिव मंदिर है इसको लेकर योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के न्यायालय में दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई की गई। कहा गया है कि, ताजमहल एक शिव मंदिर है जो तेजोमहादेव या तेजोलिंग महादेव है जिसकी मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।
सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के न्यायालय की न्यायाधीश शिखा सिंह ने मंगलवार को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के दायर वाद तेजोमहादेव पर सुनवाई की। ये मामला भगवान तेजोमहादेव/तेजोलिंग महादेव आदि बनाम सचिव, संस्कृति मंत्रालय आदि है जिसमें एक भी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए। इसलिए, न्यायाधीश शिखा सिंह ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 10 जुलाई दी है।
बता दें कि, ताजमहल को लेकर आए दिन विवाद सामने आते हैं। कभी ताजमहल के तहखाने में स्थित 22 कमरे खोलने का विवाद तो कभी ताजमहल, एक मकबरा या मंदिर विवाद। इसी कड़ी में बीते माह योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसमें कहा कि, ताजमहल एक शिव मंदिर है जो तेजोमहादेव या तेजोलिंग महादेव है जिसकी मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।
योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि, याचिका की सुनवाई में सभी प्रतिवादी अनुपस्थित रहे। न्यायालय ने वाद की कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन वादी को पैरवी करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायालय ने कामरेड भजनलाल के सिविल प्रकिया संहिता के अधीन वाद में विपक्षी बनने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की तिथि 10 जुलाई निर्धारित की है।
योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि, सुनवाई के बाद न्यायालय के आदेशानुसार सभी विपक्षीगण को नियमानुसार पैरवी करेंगे। ताजमहल को तेजोमहादेव/तेजोलिंग महादेव घोषित करने का वाद न्यायाधीश शिखा सिंह के न्यायालय में विचाराधीन है।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एसआई) के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स ने सन 1946 के प्राचीन भारत के बुलेटिन और आगरा गजेटियर 1905 में ताजमहल के शिल्पकार को विवादित बताया है। सन 1910 के एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के जर्नल में भी ताजमहल के निर्माण का तथ्य विवादित बताया गया है। ये तेजोमहादेव तेजोमहालय मंदिर है।