हेलीकॉप्टर (Ingenuity)मंगल ग्रह पर भीषण सर्दी का अपनी कार्यकुशलता से मुकाबला कर रहा है। तकनीकी दिक्कतों के बाद अब यह उड़ने के लिए तैयार भी है। नासा से मिली जानकारी के मुताबिक अगर सब कुछ योजनाबद्ध रहा तो ऐतिहासिक उड़ान को सोमवार को अंजाम दिया जाएगा। पृथ्वी के बाहर किसी दूसरे ग्रह पर पहली बार होने जा रही इस उड़ान पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं।
नासा ने जानकारी दी कि रोवर के विपरीत हेलीकॉप्टर के उड़ने की तस्वीरों या वीडियो को तुरंत नहीं देखा जा सकेगा। इसलिए यह तुरंत पता नहीं चल पाएगा कि यह मिशन कामयाब रहा है या नहीं। हालांकि नासा की कैलिफोर्निया स्थित टीम को सोमवार को इसका पहला डाटा मिलेगा। दरअसल इस उड़ान को पहले 11 अप्रैल को अंजाम दिया जाना था लेकिन तकनीकी असुविधा के चलते यह उड़ान पूरी नहीं हो सकी। बताया गया कि कमांड के क्रम में कुछ तकनीकी असुविधा थी जिसके चलते इसे टाल दिया गया था। लेकिन अब हेलीकॉप्टर की देखरेख में लगी टीम द्वारा सॉफ्टवेयर को भी अपडेट कर दिया गया है। 16 अप्रैल को मिले डाटा के मुताबिक हेलीकॉप्टर ने रैपिड स्पिन टेस्ट को पास कर लिया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस हेलिकॉप्टर को खुद से ही बिना पृथ्वी से मदद लिए मंगल ग्रह के वातावरण में उड़ान भरनी होगी। इसके साथ ही Ingenuity की हालत एकदम सही बताई और कहा कि इसकी ऊर्जा-संचार प्रणाली एकदम सही से काम कर रही है।
NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90 फीसदी सफल हो जाएगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी। बता दें यह पहली बार किया जाने वाला टेस्ट है इसलिए वैज्ञानिक इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं और वे हर पल कुछ नया सीखने के प्रयास में हैं।
दरअसल मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है यानी समतल नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देखे जा सकते हैं।लेकिन रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर भी पहुंच सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें लेने में भी सक्षम हो।