आगरा। सर्दियों ने दस्तक दे दी है। छोटे बच्चों के लिए सर्दी का मौसम मुसीबत का सबब बन सकती है। बाल गृह में ठंड से हुई तीन बच्चों की मौत के बाद चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम को पत्र लिखकर बाल गृह के बच्चों को देखभाल के लिए उपयुक्त व्यक्तियों को दिए जाने की मांग की है।
नरेश पारस ने डीएम, बाल कल्याण समिति और डीपीओ को भेजे पत्र में कहा है कि नवजात शिशु से लेकर दस वर्ष तक के बेसहारा बच्चों को देखभाल और संरक्षण के लिए राजकीय बाल गृह (शिशु) में निरूद्ध किया जाता है। सर्दियां शुरू हो चुकी हैं जिसके चलते बच्चों को सर्दी संबंधी परेशानियां होती रहती हैं। विगत माह में बाल गृह में तीन बच्चों की भी मौत हो चुकी है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम-2015 की धारा 52(1) तथा किशोर न्याय आदर्श नियम 2016 के नियम 28 के अनुसार किसी बच्चे को देखभाल, संरक्षण अथवा उपचार हेतु अस्थायी रूप से दिया जा सकता है। इसके अनुसार उपयुक्त व्यक्ति (फिट पर्सन) को किशोर न्याय बोर्ड याह बाल कल्याण समिति द्वारा मान्यता प्रदान किए जाने का प्रावधान है। पूर्व में थाना सिकन्दरा अंतर्गत रूनकता एवं एत्माद्दौला अंतर्गत ट्रांस यमुना काॅलोनी फेस-दो में दो नवजात बच्चे लावारिश हालत में पड़े हुए मिले थे। रूनकता में एक नर्स द्वारा बच्चे की देखभाल की जा रही थी तथा ट्रांस यमुना काॅलोनी में मिले बच्चे को नुनिहाई का एक परिवार बच्चे की देखभाल कर रहा था। बाद में दोनों बच्चों को बाल गृह में निरूद्ध करा दिया गया जिनकी देखभाल बाल गृह में की जा रही है। बच्चों की देखभाल परिवार में बेहतर तरीके से हो सकती है। जनपद में बहुत ऐसे परिवार हैं जो बच्चों को बेहतर परिवरिश देना चाहते हैं लेकिन उनको बच्चा देखभाल के लिए नहीं दिया जाता है।
नरेश पारस ने मांग की है कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम-2015 की धारा 52(1) तथा किशोर न्याय आदर्श नियम 2016 के नियम 28 के तहत जनपद में उपयुक्त व्यक्ति (फिट पर्सन) हेतु आवदेन प्राप्त कर जिला स्तर पर गठित कमेटी द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी कराकर उपयुक्त व्यक्ति चिन्हित कर बच्चों को देखभाल और संरक्षण के लिए अस्थायी रूप दे दिया जाए, जिससे सर्दियों में बच्चों की देखभाल सही तरह से हो सके।