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मदयानंद आश्रम मामले को लेकर नरेश पारस ने बाल सरंक्षण आयोग को लिखा पत्र, निष्पक्ष कार्यवाई की मांग

by admin

आगरा। तीन दिन पहले यमुना ब्रिज स्थित मदयानंद अनाथ आश्रम में बालिका के साथ हुई घटना के बाद आश्रम प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। बच्चों के अधिकार और बालिकाओं को सुरक्षित बनाने की लड़ाई लड़ रहे महफूज संस्था के समन्वयक ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। इस पूरे मामले में निष्पक्ष कार्रवाई हो इसके लिए महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखा है और इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच कराने की मांग की है।

पत्र के माध्यम से संस्था के समन्वयक ने उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष से मांग की है कि वो एक विशेष टीम बनाकर इस आश्रम का निरीक्षण कर जांच करे। इस मामले में युवती के साथ-साथ बालक बालिकाओं की काउंसलिंग भी हो और उनका मेडिकल परीक्षण भी कराया जाए। यदि 3 साल से पीड़िता के साथ दुराचार हो रहा है तो आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।

गुरुवार को इस आश्रम में रह रही युवती ने जान देने के इरादे आश्रम की छत से छलांग लगा दी थी। नदी किनारे बैठे लोगों ने युवती को बचा लिया है। युवती का उपचार एसएन में चल रहा है। इधर उपचार के दौरान युवती ने आश्रम के ही तीन नाबालिगों पर दुष्‍कर्म करने का आरोप लगाया जिनकी उम्र 16 और एक की उम्र नौ वर्ष है। इस पर पुलिस हरकत में आई और कानूनी कार्यवाही को अंजाम दिया।

इस अनाथालय को लेकर भी महफूज संस्था के समन्वयक ने कई सवाल खड़े किए है। महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने बताया कि यमुना ब्रिज स्थित मदयानंद अनाथालय आश्रम नियमों और कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध चल रहा है। यह अनाथालय किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है जिससे आश्रम में शासन प्रशासन की कोई निगरानी नहीं होती है। बच्चे भी बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना ही यहां ले लिए जाते हैं। नवजात शिशु से लेकर अधिक उम्र तक के वयस्क युवक-युवतियों को भी इस आश्रम में रखा जाता है जो किशोर न्याय अधिनियम का खुला उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट पूर्व में आदेश जारी कर चुका है कि 30 दिसंबर 2017 तक सभी बाल संरक्षण गृह स्वयं को जेजे एक्ट में पंजीकरण करा लें अन्यथा उन्हें बंद कर दिया जाएगा लेकिन यह आश्रम आज तक जेजे एक्ट में पंजीकृत नहीं हो पाया है जिससे आश्रम संचालकों पर भी कई सवाल खड़े होते हैं।

4 साल पूर्व 2015 में ऐसे बाल ग्रहों की सूची एवं रिपोर्ट आयोग को और स्थानीय प्रशासन को दी जा चुकी है लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई। इन आश्रमों को बाल गृह संरक्षण में पंजीकृत होना अनिवार्य है जिससे किशोर न्याय अधिनियम के तहत इनकी निगरानी हो सके। बच्चों की काउंसलिंग हो सके। समय समय पर निरीक्षण भी होना जरूरी है जिससे अनाथालय में ऐसी घटना न हो।

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