आगरा। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा आगरा मेट्रो प्रायोरिटी कॉरीडोर के एलीवेटेड भाग में सफलतापूर्वक मेट्रो ट्रेन के टेस्टिंग की जा रही है। आगरा मेट्रो डिपो स्थित 700 मी. लंबे टेस्ट ट्रैक पर टेस्टिंग के बाद अब सभी मेट्रो ट्रेनों को मेन लाइन चला कर परखा जा रहा है। आगरा मेट्रो की सभी मेट्रो ट्रेन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, एवं ट्रेनों में यात्री सुरक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है। सभी मेट्रो ट्रेनें कड़ी टेस्टिंग प्रक्रिया के बाद ही आगरा वासियों के लिये संचालित की जायेंगी।
आगरा मेट्रो ट्रेन टेस्टिंग के चरण:
आगरा मेट्रो ट्रेन सर्वप्रथम ई॰आई॰जी॰ (इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर टू गवर्नमेंट) द्वारा जांची-परखी जाती है। पहले मेट्रो ट्रेन के सभी कोचों को अलग-अलग जांचा जाता है, फिर सभी कोचों को जोड़कर (असेंबली करके) जांच की जाती है। बता दें कि ई॰आई॰जी॰ द्वारा टेस्टिंग का उद्देश मूलतः ट्रेन के सुरक्षा उपकरणों की जांच करना है।
इसके पश्चात नॉन रिग्रेशन टेस्टिंग की जाती है, जिसमें ट्रेन एक ही जगह पर खड़ी रहकर 415 वोल्ट एसी करंट से चार्ज होती है, एवं ट्रेन के अंदर लगे सभी उपकरणों का वृस्तित तरह से परिक्षण होता है। मेट्रो ट्रेन की नॉन रिग्रेशन टेस्टिंग डिपो के अंदर टेस्ट ट्रैक पर ही की जाती है। इसके बाद डायनैमिक टेस्टिंग की बारी आती है, जब ट्रेन का चलते हुए परिक्षण किया जाता है। यह मुख्यतः दो चरणों में विभाजित होता है:
- डिपो के अंदर: ट्रेन को डिपो के अंदर बने टेस्ट ट्रैक पर धीमी गति में चलाकर टेस्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया में रोलिंग स्टॉक एवं सिग्नलिंग विभाग संयुक्त रूप से ट्रेन की टेस्टिंग में भाग लेते हैं। ट्रेन की गति को 40 किमी के दायरे में सीमित रखा जाता है।
- मेनलाइन पर टेस्टिंग: डिपो के बाद मेट्रो ट्रेन की टेस्टिंग मेनलाइन पर की जाती है। इस दौरान ट्रेन की गति, सिग्नल, ट्रैक्शन आदि सभी सिस्टमों की गहराई से जांच की जाती है।मेनलाइन टेस्टिंग में मेट्रो ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से टेस्ट की जाती है, जोकि ट्रेन की ऑपरेशनल स्पीड भी है।
इसके अलावा यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए संचालन से पूर्व कई किस्म की टेस्टिंग की जाती हैं। ट्रेन के रेवेन्यू ऑपरेशन से पहले, सी॰एम॰आर॰एस॰ (कमिश्नर ऑफ़ मेट्रो रेल सेफ्टी) द्वारा सख़्त निरीक्षण किया जाता है, जिसमे सिविल, सिग्नल, ट्रैक, विद्युत (ट्रैक्शन) एवं रोलिंग स्टॉक सहित सभी सिस्टमों का परिक्षण किया जाता है।
गौरतलब है कि ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी. लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए कालिंदी विहार क्षेत्र में डिपो का निर्माण किया जाएगा।