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महबूब मुफ़्ती-उमर अब्दुल्ला को आगरा के पागलखाना में भेज देना चाहिए – राज्यमंत्री डॉ जी एस धर्मेश

by admin
Mehboob Mufti-Omar Abdullah should be sent to the madhouse in Agra - Minister of State Dr GS Dharmesh

Agra. T-20 विश्वकप में पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने वाले तीन कश्मीरी छात्रों की गिरफ्तारी के बाद सियासत तेजी के साथ शुरू हो चुकी है। यह सियासत आगरा से दिल्ली और कश्मीर तक पहुँच चुकी है। भारत की हार पर देश विरोधी नारे लगाने के आरोपी छात्रों की रिहाई के लिए जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती ने पीएम नरेंद्र मोदी से मांग की है तो दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला ने भी आरोपी छात्रों का केस लड़ने से इनकार करने वाली वकीलों के निर्णय पर एतराज जताया जिसके बाद इस मुद्दे पर सियासत और तेज हो गयी है।

चिट्ठी लिखी जाने पर जताई नाराजगी

राज्यमंत्री डॉ जी एस धर्मेश ने कश्मीरी छात्रों के समर्थन में महबूबा मुफ्ती द्वारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी रिहाई के लिए चिट्ठी लिखी जाने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि जो छात्र भारत में रहकर भारत की शिक्षा ग्रहण करके पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाए और जिंदाबाद के नारे लगाए तो वह देशद्रोह की श्रेणी में आता है। महबूबा मुफ्ती को ऐसे छात्रों के समर्थन में चिट्ठी लिखने से पहले सोचना चाहिए था।

दोनों नेता पागलखाना भेजे जाएं

समाज कल्याण राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने कहा कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का मानसिक संतुलन खराब है। उन्हें आगरा के मानसिक आरोग्य शाला में भर्ती कराना चाहिए।

बताते चलें कि आगरा के RBS इंजीनियरिंग कॉलेज में कश्मीरी छात्र अरशद यूसुफ, इनायत अल्ताफ और शौकत अहमद गनी पढ़ाई करते हैं। इन पर टी-20 विश्वकप में पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने ओर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है। इनके खिलाफ भारतीय जनता युवा मोर्चा ब्रज प्रांत के क्षेत्रीय मंत्री गौरव रजावत ने मुकदमा दर्ज कराया था।

सबूतों के आधार पर हुई थी गिरफ्तारी

पुलिस ने बुधवार रात को कानूनी राय लेने के बाद तीनों छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में धारा 124A (राष्ट्र द्रोह) बढ़ा दी गई। आरोपी छात्रों को गुरुवार को अदालत में पेश किया गया। यहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। CO लोहामंडी सौरभ सिंह के अनुसार आरोपी कश्मीरी छात्रों को डिजिटल सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।

कोर्ट में पहले धक्का-मुक्की, फिर केस लड़ने से इनकार

कोर्ट में पेश होने के बाद तीनों छात्रों के साथ वकीलों और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने धक्का-मुक्की की थी। पुलिस सुरक्षा में छात्रों को कोर्ट परिसर से बाहर निकाला गया था। इसके बाद नाराज वकीलों ने तीनों छात्रों का केस लड़ने से मना कर दिया था।

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