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पुलवामा-गलवान हमले में शहीद की वीरांगनाओं ने भी दी पृथ्वी सिंह चौहान को श्रद्धांजलि

by admin
Martyrs of Pulwama-Galwan attack also paid tribute to Prithvi Singh Chauhan

Agra. तमिलानाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को हर कोई सांत्वना और श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंच रहा है। शुक्रवार को तीन वीरांगनायें भी पहुँची थी जिन्होंने पृथ्वी के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि दी।

इन तीनों वीरांगनाओं को कोई पहचान नहीं पाया। श्रद्धांजलि देने के दौरान उन्होंने पृथ्वी के परिवार वालों से भी मुलाकात की और अपना परिचय दिया। ये महिलाएं कोई और नहीं, पुलवामा में शहीद हुए कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता रावत, गलवान घाटी में शहीद गोपाल बाबू शुक्ला और शहीद विजय कुमार की पत्नी प्रतिभा देवी थीं। तीनों ने कहा कि हमने इस दर्द को झेला है। इसलिए हम शहीद परिवार के साथ खडे़ हैं और परिवार को हिम्मत बंधाने आए हैं।

कौशल कुमार रावत 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी ममता रावत और उनके बडे़ बेटे अभिषेक रावत शहीद पृथ्वी सिंह चौहान को श्रद्धांजलि देने आए थे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। ममता रावत ने बताया कि जब उन्हें आगरा के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के शहीद होने की जानकारी मिली तब वह गुरुग्राम में थी। जानकारी मिलने के बाद आगरा आ गई। किसी ने बताया था कि शहीद का पार्थिव शरीर दोपहर तक आएगा, ऐसे में वह बड़े बेटे के साथ उनके घर पर श्रद्धांजलि देने पहुंची हैं। उनका कहना था कि वह इस दर्द को झेल चुकी हैं। इसलिये शहीद के परिवार को हिम्मत बंधाने आई हैं।

उनके साथ कन्नौज से शहीद गोपाल बाबू शुक्ला की पत्नी आरजू शुक्ला भी आई थीं। आरजू शुक्ला के पति पिछले साल सितंबर में गलवान घाटी में शहीद हो गए थे। इन दोनों के साथ पुलवामा में शहीद हुए विजय कुमार की पत्नी प्रतिभा देवी भी थीं। प्रतिभा देवी ने बताया कि अक्टूबर 2018 में चुनावी ड्यूटी के दौरान आतंकवादियों ने उनके पति को गोली मार दी थी।

शहीद कौशल कुमार की पत्नी ने बताया कि तीनों ने एक-दूसरे से संपर्क किया था। इसके बाद वो शहीद के परिवार से मिलने आई हैं। मुख्यमंत्री के आने के चलते बाहर ही इंतजार कर रही थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जाने के बाद तीनों ने शहीद पृथ्वी सिंह के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें हिम्मत दी। उनका कहना था कि इस दु:ख की घड़ी में वो एक सब एक साथ हैं। उन्होंने भारी मन से कहा कि शासन-प्रशासन चंद दिनों बाद शहीदों के परिवार को भूल जाता है। ऐसे में शहीदों के परिवार ही एक-दूसरे के काम आते हैं।

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