Agra. कोरोना में अनाथ हुए बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी सरकार ने ली है। इसके लिए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरूआत की गयी है। इस योजना में ऐसे बच्चों को भी समाहित किया जाएगा जिनके परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति का देहांत हो गया है। पूरे प्रदेश में ऐसे बच्चों का चिन्हांकन शुरू हो गया है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज़ संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने ऐसे 33 बच्चों की प्रशासन को सूची सौंपी है। इनमें से 22 बच्चों के माता पिता की मौत कोविड से हुई है। दस बच्चों के माता पिता की मौत बीमारी तथा दुर्घटना से हुई है। वह विषम परिस्थितियों से जूझते हुए बिना किसी सरकारी मदद के खुद तथा अपने भाई बहनों का पेट भर रहे हैं। कुछ बच्चे तो खुद झुग्गी बनाकर रह रहे हैं। तीन बच्चे ऐसे हैं जिनके पिता ने मां की हत्या कर दी है और वह जेल में है। नरेश पारस ने ऐसे बच्चों की सूची सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपी है।
यह बच्चे होंगे पात्र-
इस योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किए जाएंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो, या माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी, अथवा दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी। इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रूपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो को भी योजना में शामिल किया गया है।
इस योजना के माध्यम से सभी पात्र लाभार्थियों को 4000 रूपए की आर्थिक सहायता हर महीने दी जाएगी। यह आर्थिक सहायता बच्चे की देखभाल के लिए होगी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह आर्थिक सहायता बच्चे के वयस्क होने तक ही दी जाएगी। इसके अलावा सभी बच्चे जिनकी आयु 10 वर्ष या फिर उससे कम है और उनका कोई अभिभावक नहीं है, उनको आवासीय सुविधा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के माध्यम से प्रदान की जाएगी। यह आवासीय सुविधा उनको राजकीय बाल गृह में आवास प्रदान करके प्रदान की जाएगी। जिससे की उन सभी बच्चों की देखभाल हो सके। उत्तर प्रदेश में इस समय लगभग 5 राजकीय बाल गृह है जो की मथुरा, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा और रामपुर में स्थित है।