दिल्ली में हुए निर्भया कांड को कोई नहीं भुला सकता। निर्भया को इंसाफ दिलाने में एक महिला वकील का हाथ था और यह महिला वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा है। रविवार को एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आगरा होते हुए जा रही सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाहा का कुशवाहा महापंचायत द्वारा होटल गंगारत्न में सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के दौरान महापंचायत के पदाधिकारियों ने सीमा समृद्धि कुशवाहा नागरिक अभिनंदन कर सम्मानित किया।
गौरव रत्न से नवाजा-
कुशवाहा समाज की ओर से कुशवाहा पंचायत के बैनर तले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और निर्भया को इंसाफ दिलाने वाली सीमा कुशवाहा को कुशवाहा समाज गौरव रत्न से नवाजा गया। इस सम्मान को पाकर वह काफी उत्साहित नजर आई और इसके लिए समाज को उन्होंने धन्यवाद दिया। अधिवक्ता सीमा ने घर की महिलाओं, बच्चियों और युवतियों को शिक्षित बनाने के साथ-साथ समाज की परिस्थितियों से रूबरू कराते रहने की अपील की जिससे हो किसी के बहकावे में ना आएं।
झकझोर देने वाली थी घटना:-
निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उन्होंने पत्रकारों के साथ उस घटना को साझा किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने इस घटना के बारे में सुना था तो वह पूरी तरह से टूट गई थी। निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लोग सड़कों पर थे तो उन्होंने भी निश्चित किया कि वह इस लड़ाई में पीछे नहीं जाएगी। उन्होंने खुद निरमा के परिजनों से संपर्क किया और उसकी लड़ाई को अंतिम निर्णय तक ले गई। निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए उन्हें काफी दिक्कतों और लंबे ट्रॉयल गुजरना पड़ा लेकिन आखिर में इंसाफ निर्भया को मिला, जिसके बाद उन्हें भी अपने आप पर गर्व महसूस हुआ।
इस तरह के केस लड़ने पर मिलती हैं धमकियां-
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने बताया कि दिल्ली की निर्भया की तरह ही वह हाथरस की पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। जब वह हाथरस के कोर्ट पहुंचती है तो वहां के स्थानीय व आरोपियों के वकील उन्हें धमकाते हैं लेकिन वह इन धमकियों से डरी नहीं है। परिवार से मिले समर्थन के बाद वह पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पूरी मजबूती के साथ उसकी तैयारी करने में जुटी हुई है।
समाज और परिस्थितियां बदली लेकिन सोच नहीं-
सीमा कुशवाहा ने कहा कि निर्भया कांड के बाद समाज बदला, परिस्थितियां बदली और कानून तक बदल गया लेकिन आज भी लोग सोच नहीं बदल पाई है। असामाजिक तत्व के लोग आज भी महिला को सिर्फ दिल बहलाने की वस्तुएं समझते हैं जिसके कारण समाज में आधी आबादी सुरक्षित नहीं है। हमें इसी सोच को बदलना है।
सवाल जवाब की आदत ने बनाया अधिवक्ता:-
अधिवक्ता सीमा कुशवाहा कहती हैं कि उन्हें शुरुआत से ही सवाल जवाब करने की आदत है और गरीबों को न्याय मिले यह हमेशा उनके जेहन में रहता था। इसीलिए उन्होंने अपनी इस आदत और इस सोच को पढ़ाई के माध्यम से हथियार बनाया और आज रेप पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहीं हैं।