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कथक उत्सव 24 को, कदमों की थिरकन से दिया जाएगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश

by pawan sharma
  • नृत्य ज्योति कथक केंद्र द्वारा रिवर कनेक्ट कैंपेन और छांव फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया जाएगा 15 वां कथक उत्सव
  • ‘मैं फिर गुनगुनाऊंगी’ नृत्य नाटिका रहेगी आकर्षण का केंद्र
  • बच्चों के साथ महिलाएं भी देंगी प्रस्तुति, नृत्य नाटिका करेगी मंत्रमुग्ध

आगरा। नृत्य संगीत सबसे सुगम माध्यम है समाज में संदेश प्रसारित करने का। बढ़ती गर्मी अंतिम अलार्म है पर्यावरण संरक्षण का। नदियां सूख रही हैं, पेड़ काटे जा रहे हैं। अभी नहीं थमे तो धरती आग का गोला बन जाएगी। पर्यावरण के हितार्थ ये संदेश दिया जाएगा नृत्य ज्योति केंद्र द्वारा रिवर कनेक्ट कैंपेन और छांव फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित होने जा रहे कथक उत्सव ष्मैं फिर गुनगुनाऊंगीष् में। यह जानकारी दी केंद्र की निदेशक ज्योति खंडेलवाल ने।

गुरुवार को यमुना किनारा रोड स्थित यमुना आरती स्थल पर 15 वें कथक उत्सव ष्मैं फिर गुनगुनाऊंगीष् का पोस्टर विमोचन किया गया। सर्वप्रथम यमुना मैया की विधिवत आरती की गयी। इसके बाद ज्योति खंडेलवाल, रिवर कनेक्ट कैंपेन के संस्थापक बृज खंडेलवाल, पद्मनी खंडलेवाल, श्रुति सिंह, डॉ हरेंद्र गुप्ता, शाहतोष गौतम, राजीव कुलश्रेष्ठ, प्रियंका गौतम, चतुर्भुज तिवारी, विशाल झा आदि ने आयोजन के पोस्टर का विमोचन किया।

निदेशक ज्योति खंडेलवाल ने बताया कि 24 जून, दिन सोमवार को सूरसदन प्रेक्षागृह में सायं 6ः30 बजे से कथक उत्सव का आयोजन होगा। प्रतिवर्ष कथक उत्सव के माध्यम से समाज को किसी न किसी ज्वलंत मुद्दे से संबंधित संदेश अवश्य दिया जाता है। इस वर्ष उत्सव की थीम पर्यावरण संरक्षण है जिसका नाम दिया गया है ‘मैं फिर गुनगुनाऊंगी’। उन्होंने बातया कि थीम पर आधारित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति होगी। जिसमें छह कथक की प्रस्तुति 30 बच्चे और 8 महिलाओं द्वारा दी जाएगी। इसके अलावा अन्य प्रस्तुतियां होंगी।

श्रुति सिंह ने बताया कि उत्सव पूर्ण रूप से शास्त्रीय नृत्य को समर्पित होगा। नृत्य नाटिका में आगरा शहर की जलवायु, पर्यावरण को लेकर चिंता का प्रदर्शन होगा जिसमें नदी, कटते पेड़, ताजमहल, ब्रज की धरा को दिखाया जाएगा। कथक की आठ अन्य विभिन्न विधाओं का मंचन होगा। प्रयास किया गया है कि डेढ़ घंटे का आयोजन सार्थक संदेशप्रद हो।

ब्रज खंडेलवाल ने कहा कि यमुना नदी की वर्तमान स्थिति के लिए हम सभी दोषी हैं। कथक उत्सव जैसे आयोजन हम सभी की भूली हुयी जिम्मेदारियों का स्मरण करवाने में सहायता करते हैं।

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