Home » घुंघरुओं की झनक और कदमों की थिरकन से बयां किया कालिंदी का दर्द, मैं फिर गुनगुनाउंगी देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

घुंघरुओं की झनक और कदमों की थिरकन से बयां किया कालिंदी का दर्द, मैं फिर गुनगुनाउंगी देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

by pawan sharma
  • नृत्य ज्योति कथक केंद्र ने आयोजित किया 15 वां कथक उत्सव “मैं फिर गुनगुनाउंगी”
  • सूरसदन प्रेक्षागृह में गूंजा यमुना संरक्षण का संदेश, यमुनाष्टक पर 30 बच्चों संग महिलाओं ने दी प्रस्तुति
  • एसिड अटैक पीड़िताएं थीं मुख्य अतिथि, शिव स्तुति से हुआ कथक उत्सव का आरंभ

आगरा। नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा, मुरारि पद पंकज स्फुरदमन्द रेणुत्कटाम… विड़बना है जिन यमुना मैय्या की आराधना में यमुनाष्टक हम पाठ करते हैं, पूजन नमन करते वो ही यमुना मैय्या व्यथित हैं अपने कलुषित होते स्वरूप पर। मां कालिंदी की पीड़ा का मंचन यमुनाष्टक पाठ पर नृत्य नाटिका के माध्यम से जब 30 बच्चों और 8 महिलाओं ने घुंघरुओं की थिरकन के साथ प्रस्तुत किया तो दर्शक अपलक स्तब्ध और निःशब्द रह गए। बस गूंज उठी करतल ध्वनि की अनवरत।

सोमवार को सूरसदन प्रेक्षागृह साक्षी बना अविस्मरणीय प्रस्तुतियों का। नृत्य ज्योति केंद्र द्वारा रिवर कनेक्ट कैंपेन एवं छांव फाउंडेशन के सहयोग से 15 वें कथक उत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन का शुभारंभ मुख्य अतिथि एसिड अटैक सर्वाइवर गीता, मानिनी, नगमा, रुकैय्या, डॉली और सुधा ने दीप प्रज्जवलन से किया। अतिथियों के स्वागत सत्कार के बाद शिव स्तुति एवं गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया। शिव स्तुति के माध्यम से मंच पर नृत्य के आदि गुरु भगवान शिव का आवाहन किया गया जिसमें स्वर विशाल झा ने दिए एवं गुरु स्तुति से सभी गुरुजनों का आवाहन नवांकुर ने कथक नृत्य की प्रस्तुति से किया गया।

उत्सव की थीम “मैं फिर गुनगुनाउंगी” रखी गयी थी, जिसका सीधा संबंध यमुना मैय्या की हर युग, काल की स्थिति, स्वच्छता, कलुषितता तक के परिवर्तन का मंचन किया। द्वापर से कलयुग तक के यमुना मैय्या की स्वरूप परिवर्तन को बहुत सुंदरता के साथ यमुनाष्टक पाठ के माध्यम से मंचित किया गया। सूरदास और मीरा बाई के भक्तिमय पद भी नाटिका में सम्मलित किये गए थे। इसके बाद प्रदूषण के कारण बिलख रही यमुना की व्यथा को दर्शाया गया।

नृत्य निर्देशक ज्योति खंडेलवाल ने नृत्य नाटिका की परिकल्पना के बारे में बताया कि “मैं फिर गुनगुनाऊंगीा” यमुना नदी का वैभव उनकी यात्रा को दर्शाया गया। जिसमें भक्ति काल, मुगल काल और आधुनिक काल द्वारा इतिहास को बताते हुए उसकी सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व को दर्शाया। साथ ही वैभवशाली यमुना का आज क्या रूप हो गया है उसकी व्यथा, उसकी दुर्दशा, उसके प्रदूषण, उसकी गंदगी को नृत्य और नाट्य के माध्यम से दर्शाया गया। यमुना मैय्या के स्वरूप का भावपूर्ण चित्रण एवं मंचन ज्योति खंडेलवाल ने ही किया।
आलेख एवं नाट्य निर्देशक डॉ विजय शर्मा ने कहा कि यदि संदेश संगीतमय और भावपूर्ण तरीके से दिया जाए तो उसकी सार्थकता सकारात्मक होती है। यमुना मैया सिर्फ नदी नहीं अपितु सनातन धर्म में श्रीकृष्ण की पटरानी कही गयी हैं। उनकी दुर्दशा का चित्रण हर हृदय को हिला देता है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन के बृज खंडेलवाल ने कहा कि सिर्फ पूजा पाठ या फिर चिंता करने से यमुना नदी की स्थिति नहीं सुधरेगी। नृत्य नाटिका ने संदेश दिया है कि सभी आगे बढ़ेंगे और गंदगी फैलाने वालों के हाथ रुकेंगे तभी कालिंदी निर्मल बनेगी। ठुमरी, ततकार, चक्करदार, पढंत आदि कथक की प्रस्तुतियां भी हुईं। छांव फांउडेशन के आशीष शुक्ला ने संस्था का आभार व्यक्त किया। कहा कि एसिड अटैक झेलना और उससे उभर पाना किसी योद्धा के बस ही बात हो सकती है। इन योद्धाओं को मुख्य अतिथि बनाकर संस्था ने समाज को संदेश देने का कार्य किया है।

पुरस्कार वितरण से सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया गया। संस्कार− संस्कृति से सुसज्जित मंच का कुशल संचालन श्रुति सिन्हा ने किया। आयोजन की परिकल्पना परिकल्पना व नृत्य निर्देशन ज्योति खंडेलवाल, आलेख व नाटय निर्देशन डॉ विजय शर्मा, संगीत डॉ भानु प्रताप सिंह, प्रिंस सोलंकी का था। मंच सहयोग आरती शर्मा, निधि पाल, सुमेधा शर्मा, संजना फौजदार, निशा शर्मा, जूही स्वरूप आदि ने किया।

इन कलाकारों ने सज्जित किया मंच
स्वर्णिमा सिंह, अन्वी पांडे, अमीषा खंडेलवाल, रिद्धि गुप्ता, अक्षधा चैहान, आकांक्षा सिंह, शुभी कुमारी, सान्वी गुप्ता, अद्विता गुप्ता, सुमन, गर्वित दास, समिधा गुप्ता, अग्रिमा सिंह, कल्पना, दर्शना, अन्वी, प्रिशा, वर्णिका इनारा, वाणी, कशिका, ज्योत्सना, अनाइशा श्राव्या, निमिषी, पावनी बाल कलाकारों सहित महिला कलाकार
चारु पांडे, रचना वर्मा, डॉ योगिता शर्मा, ममता सिंह, डॉ सपना दास, प्रतिभा सिंह ने नृत्य नाटिका में प्रस्तुति दी।

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