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जरासंध के वध पर हुआ जय श्रीकृष्ण का जयघोष, सुदामा चरित्र का वर्णन सुन भावुक हुए श्रद्धालु

by admin

आगरा। सांसारिक दुखों से मुक्ति चाहिए तो श्रीहरि से मित्रता करिए। सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र का विपत्ति में साथ दे। उसे अपने से नीचा रखने के बजाय समकक्ष बनाने का प्रयास करें। सुदामा चरित्र में जीवन का दर्शन है। एक ओर जहां सुदामा ने अपने मित्र को कंगाल होने से बचाने के लिए चुपचाप सारे चने खुद ही खा लिए थे, वहीं श्रीकृष्ण से मिलने आ रहे सुदामा को गोमती नदी पार कराने के लिए मित्र कन्हैया खुद केवट बनकर पहुंचे।

सूर्य नगर समाधि पार्क मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक दिनेश दीक्षित महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। कहा कि मित्रता का अर्थ स्वार्थ नहीं बल्कि सहयोग और समर्पण होना चाहिए। सच्ची मित्रता हमें प्रभु के चरणों में ही मिल सकती है। सुदामा के द्वारिका से लौटने पर अपनी कुटिया के स्थान पर खड़े ऊंचे महल देखकर वह डर गए। कहा कि संसार में तीन वस्तु दुर्लभ हैं। देह प्राप्त करना, मोक्ष प्राप्त करना और मोक्ष प्राप्त करने के लिए सतगुरु को प्राप्त करना। गुरु सहज, सरल और सुलभ होना चाहिए। भगवान के आनन्द की शक्ति श्रीराधा हैं।

भागवताचार्य ने बताया कि सत्यभामा राधा का स्वरूप थीं। श्रीकृष्ण के रुक्मणी, सत्यभामा, जामवती सहित सभी 16108 विवाह और रानियों की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। बृज की गोपियां, नन्द बाबा, यशोदा का कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय स्नान करने पहुंचने पर श्रीकृष्ण से हुए मिलन की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया। श्रीकृष्ण को गांधारी द्वारा दिए गए श्राप, राजा परिक्षित मोक्ष की कथा कही। अंत में आरती के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से भारत विकास परिषद के केशव देव गुप्ता, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, डॉ. महावीर सिंह राजपूत, डॉ. डीपी शर्मा, डॉ. सुवर्चा शर्मा, भरत शर्मा, महेश शर्मा, विनायक वशिष्ठ, मोनिका पांडे, प्रीति मिश्रा, दुर्गेश, नीता टंडन, शीला बहल, इंद्रा गर्ग, रीना अग्रवाल, सत्यपाल, स्मिता चौहान, डॉ. अमिता त्रिपाठी, डॉ. शामिता शर्मा, डॉ. वेद प्रकाश शर्मा, शांति स्वरूप गोयल, सुभाष गोयल आदि मौजूद रहे।

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