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माता-पिता से मिलती है प्रेरणा, कन्या पूजन के बाद झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को भी बांटा प्रसाद

by admin
Inspiration comes from the parents, after the worship of the girl, Prasad is also distributed to the children living in the slum

Agra. नवरात्रि के दौरान मां की भक्ति भाव के साथ लगातार 8 दिनों तक पूजा आराधना करने के बाद नवें दिन कन्या पूजन कर लोग नवरात्र आराधना को पूरा करते हैं। छोटी-छोटी कन्याओं को छोले हलवा और पूड़ी से भोग लगाया जाता है, वहीँ कुछ लोगों के यहां अष्टमी पूजन होता है। अष्टमी को भी कुछ लोग कन्याओं का पूजन कर अपने नवरात्रों की पूजा आराधना को पूरा करते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा पंचवटी कॉलोनी में देखने को मिला। हर्षिल भोजवानी के परिवार ने अष्टमी पर कन्याओं के रूप में दुर्गा पूजन कर माता काआशीर्वाद लिया।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन श्री राम भगवान का जन्म हुआ था। इस अवसर पर नौ देवियों को भोग लगाकर राम नवमी के अवसर पर देवी रूप में कन्याओं को भोजन करा कर प्रसाद के रूप में कुछ ना कुछ श्रद्धा भाव अनुसार पैर छूकर, माथे पर तिलक लगाकर आशीर्वाद लिया जाता है। घर पर कन्या पूजन करने के बाद हर्षिल भोजवानी सपरिवार सड़क किनारे झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले गरीब असहाय लोगों के बीच पहुँचे। यहाँ पर उन्होंने अपने हाथों से छोटी-छोटी कन्याओं को प्रसाद वितरित किया, साथ ही उन्हें कुछ वेट कर मां के रूप में उनका आशीष भी लिया। इस दौरान भोजवानी परिवार का कहना था कि आज अष्टमी का पूजन कर मां दुर्गा की पूजा आराधना की गई है। यहां छोटी छोटी बच्चों के पास जाकर प्रसाद का वितरण किया है।

हर्षिल भोजवानी ने कहा कि यह सब करना अच्छा लगता है। क्योंकि मेरे अभिभावकों ने जो संस्कार दिए हैं उससे मैं प्रेरित होकर समाज में सेवा का कार्य करता रहता हूँ। गरीब, असहाय अथवा मां के भक्तों की मदद कर अलग ही आनंद प्राप्त होता है।

भोजवानी ने कहा कि आने वाले दुर्गाष्टमी पर कामना करता हूं कि मैं हर वर्ष अच्छा करूं और अपने मम्मी पापा का आशीर्वाद भी मिलता रहे। मेरा मानना है कि लोगों द्वारा सुना जाता है, कि भगवान हमेशा दु:ख में ही याद आते हैं, मगर ऐसा नहीं है। सुख होने पर भी ईश्वर को नहीं भूलना चाहिए। माता रानी के दर पर शीश झुकाकर आशीर्वाद लेते रहने से हर मनोकामनाएं पूरी होती है।

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