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राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के मार्गदर्शक इंद्रेश ने विपक्ष और चीन देश को लिया आड़े हाथों, जाने क्यों

by admin
Indresh, the guide of the National Security Committee, took a dig at the opposition and China, why know

आगरा। 26 जनवरी को अपनी मांगों को लेकर हिंसात्मक आंदोलन करने वाले किसान के भेष में ट्रैक्टर पर सवार लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश ने अपना आक्रोश व्यक्त किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश ने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर हुई एक घटना कि हम घोर निंदा करते हैं और यह अशोभनीय है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को आवाज उठाने का अधिकार है। मगर अराजकता फैलाने का अधिकार किसी को नहीं है। लाल किले पर इस तरीके से चढ़ना, हुड़दंग मचाना, तिरंगे के अतिरिक्त कोई भी झंडे लहराना यह अलोकतांत्रिक है, अमानवीय है और असंवैधानिक है।

पुलिस और विशेष एजेंसी वाले लोगों ने जिस तरीके से धैर्य का परिचय दिया उसका भी हम धन्यवाद देते हैं। लोकतंत्र की रक्षा करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। अब समय आ गया है कि ऐसे सभी लोगों को चिन्हित कर आवश्यक और सतत कार्यवाही की जानी चाहिए। चीन जब भारत का विरोध करता है तो विपक्ष भारत की सेना के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं। विपक्ष के लोग जब पाकिस्तान का सीमा विवाद आता है तो पाकिस्तान को भूलकर भारत के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं। इनको हमेशा भारत का बनकर जीना चाहिए। वह अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में छोटे मन के बनकर इस तरह का आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं। इनका दुर्भाग्य और जनता इनके कारनामों को समझ चुकी है। पिछले दो-तीन चुनावों में उनको सबक मिला है। आगे भी चुनावों में जनता उनको सबक सिखा कर रहेगी।

हिमालय हिन्द महासागर के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने आये इंद्रेश चीन देश पर भी हमलावर दिखे। उन्होंने कहा कि चीन एक ताजा खतरा है जो हिंद महासागर दुनिया के सबसे बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहता है । इसलिए मलाई सागर को चीन दक्षिणी सागर कह रहा है। हिमालय पूरी दुनिया में सबसे बड़ा जल का वायु खनिज और अध्यात्म का केंद्र है। उस पर चीन का कब्जा हो गया है।

अभी चीन ने हाल ही में कोविड-19 वायु वेपन बनाकर पूरी मानव जाति पर भी हमला किया। करोड़ों संक्रमित हुए। लाखों लाख मौत के मुंह में भी चले गए। यह सब देश मिलकर जीवन मूल्यों को आचरण करें और जो कॉमन खतरा है और उससे सतर्क रहें। कोविद 19 से एक बात तय हो गई कि चीन दुनिया का दानवीय देश है, भारत दुनिया का मानवीय देश है और मानवता का पोषक है।

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