इंडियन रेलवे आगामी वर्षों में बिना ड्राइवर के पटरी पर ट्रेन चलाने के लिए खासा उत्साहित है। दरअसल रेलवे को 5 मेगाहट्ज स्पेक्ट्रम मिल जाने की वजह से ड्राइवरलेस ट्रेनें चलाने की दिशा में काम करना आसान हो जाएगा। बता दें स्पेक्ट्रम से सिगनलिंग के साथ-साथ बेहतर कनेक्टिविटी भी मिलेगी, जिससे ट्रेनों के मूवमेंट पर नजर रखना बेहद आसान हो जाएगा। रेलवे के अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अब संचार प्रणाली मिल गई है तो बिना ड्राइवर के ऑटो मोड पर ट्रेन चलाने की दिशा में कार्य करना बेहद आसान होने वाला है।
रेलवे बोर्ड के मैंबर ऑफ इंफ्रास्ट्रेक्चर संजीव मित्तल ने इस दौरान बताया कि 4G के तहत यह स्पेक्ट्रम मिला है , जिससे रेलवे को संचार और सिग्नल मुहैया कराने में सफलता हासिल होगी। पूर्व में सर्दियों में ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो जाया करती थी लेकिन अब स्पेक्ट्रम मिल जाने की वजह से यह रफ्तार भी बरकरार रहेगी।बता दें अभी तक ट्रेन डाइवर कोहरे के दौरान बाहर देखता था कि सिग्नल ग्रीन है या रेड। उसके बाद ट्रेन की स्पीड बेहद कम हो जाती थी। लेकिन अब स्पैक्ट्रम मिल जाने से ड्राइवर के कैब में ही सिग्नल आ सकेगा उससे पहले ही ड्राइवर को आगे की हालत का पता चल जाएगा। वहीं इस स्पेक्टर में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगाना और गतिविधियों पर नजर रखना भी आसान होगा। इतना ही नहीं सारे रेलवे स्टेशन पर वाईफाई भी बेहतर तरीके से संचालित होगा।
रेलवे ट्रैक की निगरानी के साथ-साथ वीडियो और साउंड में बेहतर सुधार होगा और ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी। अभी दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा के बीच ट्रेनों की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा की है। इसे 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाया जा सकेगा। स्पीड को इस सिस्टम के जरिए लगातार एक जैसा रखा जा सकता है।इस स्पैक्ट्रम के मुताबिक पहले साल में 600 किलोमीटर रेल नेटवर्क में सुधार होगा वहीं दूसरी साल में 8000 किलोमीटर नेटवर्क में सुधार किया जाएगा। तीसरे साल में 12000 किलोमीटर और चौथे साल में 13000 किलोमीटर रेल नेटवर्क सुधारने की पूरी कोशिश की जाएगी। बता दें 4 साल के अंदर कुल 34000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को सुधारा जा सकेगा।