आगरा जनपद के तहसील बाह क्षेत्र की यात्रियों से भरी डीसीएम एक माह पूर्व इटावा के चकरनगर मार्ग पर सड़क किनारे खाई में पलट गई थी जिसमें करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी तो वहीँ 52 लोग गंभीर घायल हो गए थे। पीड़ित घायलों को इलाज नहीं मिल पा रहा है, सैफई अस्पताल से कई गंभीर घायलों को कहीं ओर जाने के लिए कह दिया गया है जिससे पीड़ित परेशान हैं।
इटावा में 10 अप्रैल लखना वाली माता पर नेजा चढ़ाने जा रही श्रद्धालुओं से भरी कैंटर सड़क किनारे खाई में जा गिरी जिसमें 12 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और तकरीबन 52 लोग घायल हुए थे। मृतकों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दो- दो लाख रुपए देने के साथ ही घायलों के बेहतर इलाज की घोषणा की गई थी। इसके उपरांत भी कुछ घायलों को सही उपचार अभी तक नहीं मिल पाया है।
इस घटना में बुरी तरह घायल हुए सुरेंद्र सिंह निवासी आम का पुरा ने बताया कि वह भी उस कैंटर में सवार थे तत्पश्चात उनके गंभीर चोटें आई थी, जिनमें उनके रीड की हड्डी में काफी चोट आई थी, वह चलने फिरने में भी असमर्थ हैं। घटना के दो-चार दिन बाद तक उनका इलाज सैफई मेडिकल कॉलेज में किया गया और जब मामला ठंडा होता दिखा तो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उनका इलाज करना बंद कर दिया और उनसे यह कह दिया गया कि जाओ अब अपना इलाज किसी दूसरे अस्पताल में करवाना।
घायल सुरेंद्र सिंह दर-दर की ठोकरें खाते हुए जिला चिकित्सालय आगरा, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा, व अन्य कई सरकारी अस्पतालों में भटके लेकिन किसी अस्पताल ने उनका उपचार नहीं किया। इस संबंध में उन्होंने प्रशासन, विधायक, सांसद व अन्य कई राजनेताओं से मदद की गुहार लगाई लेकिन वह असफल रहे।
अतः सुरेंद्र सिंह व उनके परिवारी जनों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उन्हें किसी अस्पताल में बेहतर उपचार मिले और वे स्वस्थ हो सके ताकी वह ठीक होकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। पीड़ित पर इलाज कराने को पैसे नहीं है जिससे परिजन परेशान है।
रिपोर्ट – नीरज परिहार, आगरा देहात