आगरा। रघुनंदन के जन्म के साथ ही फूलों और गुब्बारों से सजा कथा स्थल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। श्रीराम की कथा की अमृत स्वरूप बहती रसधारा में हर भक्त भक्ति के अलौकिक आनंद में डूब गया। श्रीराम के जन्म के साथ वैदिक मंत्रों से श्रीहरि का स्तवन किया गया। बधाईयां गाई गईं। हर तरफ उत्सव और उमंग बिखरा था। कोठी मीना बाजार मानों आज अयोध्या नगरी बन गई। चित्रकूट धाम में आयोजित श्री राम कथा में व्यास पीठ पर विराजमान श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने भए प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकार, हर्षित महतारी मुनि मनहारी, अद्बुद्भ रूप निहारी… दोहे का पूर्ण वर्णन किया हर तरफ श्रीहरि के जयकारे गूंजने लगे।
श्री कामतानाथ सेवा समिति द्वारा कोठी मीना बाजार (चित्रकूट धाम) में आयोजित की जा रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा में आज दूसरे दिन श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने मनु व रानी सतरूपा की कथा का वर्णन करते हुए श्रीराम जन्म प्रसंग का संगीतमय वर्णन किया। कहा कि भक्ति का स्वरूप सादगी, सरलता और सौम्यता है जबकि ज्ञान में अहंकार आ जाता है। भक्ति में सरतला के कारण से हर कोई धारण कर सकता है। भक्ति और प्रेम भाव के कारण ही श्रीहरि माता कौशल्या की गोद में आए।
मनु व रानी सतरूपा की तपस्या की कथा और श्रीहरि द्वारा उनके यहां (राजा दशरथ व रानी कौशल्या के यहां) पुत्र रूप में जन्म लेने की कथा का विस्तारपूर्णक वर्णन करते हुए कहा कि कौशल्या ने शांता नाम की पुत्री को भी जन्म दिया था। जिनका विवाह ऋंगि ऋषि के साथ हुआ। बेटी के विवाह उपरान्त जब श्रीहरि के वरदान का ध्यान आया तब दशरथ गुरु वशिष्ठ के यहां पहुंचे, जहां गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से ऋंगी ऋषि ने यज्ञ सम्पन्न कराया। अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के रूप में राजा दशरथ के यहां चार पुत्रों श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न का जन्म हुआ।
कथा से पूर्व यज्ञाचार्य राहुल रावत, किशोर लवानिया ने बनारस से आई 21 ब्राह्मणों के साथ यज्ञ सम्पन्न कराया। इस अवसर पर मुख्य रूप से जयप्रकाश त्यागी, ऋषि उपाध्याय, रणवीर सोलंकी, मोहित शर्मा, विनय चाहर, रविंद्र सिंह पप्पू, विनोद त्यागी, अर्जुन त्यागी आदि उपस्थित रहे।
मोबाइल पर ही सही प्रतिदिन राम चरित मानस अवश्य पढ़े
श्री रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि आज लोग पड़ोसी से कम संतान से ज्यादा परेशान हैं। लगभग 60 प्रतिशत भक्त बच्चों की शिकायतें लेकर आते हैं। बच्चों की संस्कारवान, जीवन जीने का सलीका और सलरता, सम्बंधों का महत्व समझना है तो मोबाइल पर ही सही उनमें रामचरित मानस पढ़ने की आदत डालें। राम कथा सुनने से देह संत बने न बने ध्येय अवश्य संत बन जाएगा।
पति रथ और पत्नी सारथी, बिना सारथी के जीवन का रथ नहीं चलता
श्री रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि पति के जीवन में पत्नी की और पत्नी के जीवन में पति की प्रदानता होनी चाहिए। दोनों को एक दूसरे को महत्व देना जरूरी है। गृहस्ती रूपी रथ की सारथी होती है पत्नी। पति रथी है। बिना सारथी के जीवन का रथ नहीं चल सकता। पति से प्रेम रखने वाली पत्नी सारथी और सम्पत्ती से मोह रखने वाली पत्नी स्वार्थी होती है। जहां पवित्रता है वहां तीर्थ है। पत्नी के बिना पति का की तीर्थ सफल नहीं होता। कहा जीवन की परिस्थिति चाहें जैसी हो छटपटाएं नहीं। छटपटाने से काम बिगड़ता है। धैर्य और संतोष को धारण करें। इसी से सभी काम बनते हैं।
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