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यहां पीपल के पेड़ का सहारा लेकर ऑक्सीजन लेवल बढ़ा रहे हैं बीमार लोग

by admin

Agra. कोरोना संकट काल में बीमारी और परेशानी से जूझ रहे लोग प्रकृति की गोद में आकर बैठ रहे हैं। जीवन बचाने और ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए लोग पीपल के पेड़ का सहारा ले रहे है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पीपल के पेड़ के नीचे लोगों की भारी भीड़ नजर आ रही है। ऐसी ही कुछ तस्वीरें हम आपके साथ साझा कर रहे है। यह तस्वीरें ब्लॉक बरौली अहीर के गांव नोबरी की है। जहाँ लोग पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हुए है। गांव का ये सैकड़ों वर्ष पुराना पीपल का पेड़ है जो लोगों के लिए जीवन रक्षक बन बना हुआ है। यही वजह है कि सुबह शाम पीपल के पेड़ के नीचे और पीपल के पेड़ पर लोगों की भीड़ नजर आती है। काफी संख्या में लोग पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर अपने ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा रहे हैं तो वहीं गांव के रहने वाले विनोद शर्मा ने तो पीपल के पेड़ पर ही खाट डाली है।

ग्रामीणों का कहना है कि आध्यात्म में हम प्राकृतिक औषधियों की बात करते हैं। ऐसे पेड़-पौधे जिनका प्रयोग शरीर को निरोग रखने में किया जा सकता है। प्रकृति आपके जीवन का एक अहम हिस्सा है। आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में पीपल के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। पीपल के अलग-अलग हिस्सों जैसे पत्ते, छाल के इस्तेमाल से बुखार, अस्थमा, खांसी, त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं से राहत पाई जा सकती है।

गांव के विनोद शर्मा का ऑक्सीजन लेवल कुछ समय पहले कम हुआ था। लोगों ने उन्हें सलाह दी तो उन्होंने अपनी दिनचर्या व खानपान में बदलाव किया। योग के साथ साथ पीपल के पेड़ के नीचे समय बिताने लगे। स्वास्थ्य बेहतर महसूस करने पर उन्होंने पीपल के पेड़ पर ही खाट डाल ली। पिछले 15 दिन से विनोद शर्मा पीपल के पेड़ पर ही अपना डेरा जमाए बैठे हैं। विनोद शर्मा पीपल के पेड़ पर खाट डालकर सोते हैं और करीब 5 घंटे तक पीपल के पेड़ पर ही बने रहते हैं।

विनोद शर्मा का कहना है कि उनका ऑक्सीजन लेवल अब पहले से काफी बेहतर है। गांव के अन्य ग्रामीण भी पीपल के पेड़ के नीचे डेरा जमाए हुए है। सुबह के वक्त यह लोग पेड़ के नीचे कसरत और योग करते हैं और दोपहर का समय भी यह लोग पीपल के पेड़ के नीचे आपसी वार्ता के साथ काट देते हैं।

गांव के महिपाल का कहना है कि कोरोना ने एक बार फिर लोगों के नजरिए को बदल दिया है। गांव के जो लोग शहर की ओर भाग रहे थे वो आज स्वच्छ हवा व माहौल के लिए वापस आ रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हुए लोग है। जो स्वच्छ ऑक्सीजन ले रहे हैं, कई लोगों का ऑक्सीजन लेवल बीमारी के चलते कम हो गया था लेकिन जब से लोगों ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठना शुरु किया है उनकी सेहत में तो सुधार हुआ ही है। ऑक्सीजन लेवल भी काफी बढ़ गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से उन्हें काफी राहत मिली है। उनकी हालत और तबीयत सुधर गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पीपल के पेड़ से मिल रही मदद को देखते हुए उन्होंने गांव में पीपल के पेड़ पौधों का रोपण भी किया है।

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