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नौनिहालों के टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया माइक्रोप्लान

by admin

आगरा। परिवार कल्याण महानिदेशक की ओर से आगरा सीएमओ को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आये पत्र के बाद स्वास्थ्य विभाग ने आगरा शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कसरत शुरू कर दी है और इसके लिए खाका भी तैयार कर लिया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से नौनिहालों को बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए टीकाकरण पर पूरा जोर दिया जा रहा है ताकि शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि शहर से लेकर देहात तक टीकाकरण कराने के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया गया है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जानलेवा बीमारियां तपेदिक, गलाघोंटू, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, खसरा, रुबेला, हैपेटाइटिस-बी, रोटा वायरस, न्यूमेनिया से बचाव के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण सारिणी के अनुसार बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को टीडी का टीकाकरण किया जाता है।
सीमएओ ने बताया कि सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी नवजात को 24 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी बर्थ डोज, ओपीवी जीरो डोज और बीसीजी का टीका दिया जाना जरूरी है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि नियमित टीकाकरण के लिए माइक्रोप्लान तैयार कर लिया गया है जिसके तहत उपकेंद्र के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों व मजरों की आबादी क्षेत्र की सूची चिन्हित कर ली गयी है। सूचीबद्ध क्षेत्रों की वास्तविक जनसंख्या दिखाई जाएगी। उपकेंद्र पर एक से अधिक एएनएम पर अलग टीकाकरण कर चिन्हित करते हुए अलग से माइक्रोप्लान बनाया जाए। सभी ग्राम मजरों में आशा कार्यकर्ता का कार्यक्षेत्र चिन्हित किया जाएगा।

सीएमओ के मुताबिक, हर ब्लाक का नक्शा बनाकर उसके अंतर्गत आने वाले सभी स्वास्थ्य केंद्रों व गांवों को दर्शाया जाएगा। नियमित टीकाकरण सत्रों का आयोजन कर बच्चों व गर्भवती महिलाओं को लाभ दिया जाएगा। हर सत्र के लिए एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी के सहयोग से गर्भवती महिलाओं व बच्चों का चिन्हीकरण कर मातृ एवं बाल स्वास्थ्य रजिस्टर में अंकित करेंगी। गर्भवती महिलाओं व बच्चों की सूची बनाने के बाद प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा सूची को ब्लाक स्तर पर कम्प्यूटराइज कराया जाएगा।

डा. संजीव वर्मन द्वारा बताया गया कि अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक पूर्ण प्रतिरक्षित बच्चों की संख्या करीब एक लाख है, जबकि संपूर्ण प्रतिरक्षित बच्चों की संख्या 95252 है।

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