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सद्कर्म और सद्बुद्धि की ओर ले जाने का नाम गायत्री मन्त्र -डॉ चिन्मय पंड्या

by admin

झांँसी। व्यक्ति के भटकाव एवं सांसारिक उलझनों से निजात दिलाकर सत्कर्म, सद्बुद्धि की ओर अग्रसर करने की प्रवृत्ति का नाम ही गायत्री मंत्र है। यह विचार युवा सृजेता समारोह में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने गायत्री परिजनों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में योग के सदस्य डॉ. चिन्मय ने आगे कहा कि इस पराक्रम की भूमि में देवता भी जन्म लेने को तरसते हैं। वीरांगना लक्ष्मीबाई के शौर्य से दुनिया चकित है। भारत के युवा जागेगे, तभी युग सृजन संभव है। आज विश्व की निगाहें भारत के युवाओं की ओर आस भरी नजरों से देख रही हैं। यह भूमि यौवन से भरी पड़ी हुई है। इस माटी में दम है। यह माटी तपना चालू करती है, तो महापुरुष और सूरमा निकलने लगते हैं और गलने पर संत निकलते हैं।
युवा संत चिन्मय ने कहा कि आंकड़ों से गायत्री परिवार का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। इसका आस्था की दृष्टि से मूल्यांकन किया जा सकता है। आंकड़ों से देश नहीं चलता। 6 करोड़ युवा गायत्री परिवार से जुड़े हुए हैं, जो पीड़ितों को राहत देने, पर्यावरण में वृद्धि और नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहे हैं। स्कूल एवं अस्पताल बनाने की पैरवी करते हुए आपने कहा कि युवा अपने जीवन का उद्देश्य न भूलें। टूटते-बिखरते परिवारों को दरकने से रोकें। फेसबुक के दोस्त आपदा में काम नहीं आते। परिवार के सदस्य ही सबसे पहले काम आते हैं। हमने भीड़ तो पैदा कर दी, किंतु आदमी को अकेला छोड़ दिया। अपने गायत्री परिजनों से आव्हान करते हुए कहा कि गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की ज्ञान-गंगा का अवतरण हो रहा है। इसे जन-जन तक पहुंचाएं। जो हमें मिला है, उसे दूसरों तक पहुंचाएं। युवा अभाव नहीं, स्वभाव के कारण गलत काम कर रहा है। जीवन में समझ-बोध आ जाए, तो मनुष्य जीवन में इससे बड़ा कोई उपहार नहीं हो सकता। आज संकल्प लेने का दिन है। यहांँ से व्यक्ति, परिवार एवं समाज निर्माण का संकल्प लेकर जाएं। देश और संस्कृति को एक करने की आवश्यकता है। वह मनुष्य जाति है। जाति और वंश सब एक समान।
श्री पड्या ने कहा कि गुरुदेव के सपनों को साकार करने एवं भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति बनाने के लिए नई पीढ़ी उठ जाए, तो निश्चित ही युग बदल जाएगा। युग बदलने का समय आ रहा है।

प्रारंभ में समारोह की समन्वय समिति के सदस्यों एस.के. गोयल, देवी दयाल यादव, हरिकृष्ण पुरोहित, आदित्य श्रीवास्तव, राजेंद्र द्विवेदी, कैलाश नारायण अग्रवाल, डॉ. अचल सिंह, राजेश मालवीय, वैभव तिवारी, संजीव खरे एवं आसाराम कुशवाहा आदि ने डॉ. चिन्मय पण्ड्या का स्वागत किया। युवा प्रकोष्ठ के प्रभारी संजीव खरे ने जनपद के कार्यों की आख्या प्रस्तुत की। शांतिकुंज की टोली ने ‘नौजवानों उठो, वक्त यह कह रहा, खुद को बदलो, जमाना बदल जाएगा’’ प्रज्ञा गीत प्रस्तुत किया।
इस मौके पर नरेंद्र ठाकुर, आशीष कुमार सिंह, महापौर बिहारी लाल आर्य, डॉ. गोपाल शर्मा, गिरधर गोपाल, डॉ. सचिन देव शर्मा, छत्रपाल सिंह परमार, हीरा सिंह चौहान, रविंद्र सिंह परमार, निधि वर्मा, ज्योति सिंह, आरसी गुप्ता, मांडवी राजपूत, राम लाल राजपूत, जीपी कटियार, घासीराम सोनी, दिव्यांश चड्डा, कपिल रैयकवार, गीता साहू, प्रतिभा श्रीवास्तव, सपना सिंह, रुचि द्विवेदी, उत्कर्ष श्रीवास्तव, प्रशांत शर्मा, संयोगिता शर्मा, गजेंद्र श्रीवास्तव एवं अशोक विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।

डॉ. चिन्मय पंड्या ने किया डॉ. अचल सिंह को सम्मानित
नगर निगम के महापौर बिहारी लाल आर्य, पैरामेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. अशुल जैन एवं पारीक्षा थर्मल पावर के महाप्रबंधक मनोज सचान को आचार्य श्रीराम शर्मा जी का साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।

सायंकाल में डॉ. चिन्मय पंड्या ने युवाओं को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। इसके बाद समारोह परिसर में 24 हजार दीपों को प्रज्वलित कर दीप महायज्ञ किया गया। जिससे पूरा परिसर दीपों के प्रकाश से जगमगा उठा।

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