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‘आगरा विवि में फर्जीवाड़ा करने वाले अपने गिरेबां में झांके’, स्थापना दिवस पर छलका कुलपति का दर्द

by admin

आगरा। 1 जुलाई बुधवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 94 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में खंदारी स्थित जेपी सभागार में स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर महापौर नवीन जैन और कार्यक्रम अध्यक्ष के तौर पर आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल मौजूद रहे। मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरुआत की। कोविड-19 वायरस के चलते छात्र हित में इस बार छात्रों को इस कार्यक्रम से दूर रखा गया और इस कार्यक्रम में सिर्फ विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी, अध्यापक और कर्मचारियों ने ही भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत में आगरा विश्वविद्यालय की स्थापना से 94 वर्ष की यात्रा पर इतिहास डाला गया। इस पर आगरा विवि के रसायन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय तनेजा ने मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन दिया और आगरा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपलब्धियां, वर्तमान परिस्थिति के साथ-साथ भविष्य के अवसर और चुनौतियों को सभी के सामने रखा। इसके बाद हुए उद्बोधन सत्र में मुख्य अतिथि महापौर नवीन जैन में आगरा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के साथ वर्तमान में कोरोना संक्रमण के परिदृश्य पर अपनी बात रखी।

कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने आगरा विश्वविद्यालय के हालात को लेकर अपना संवेदना पूर्ण उद्बोधन दिया। इस दौरान उनका दर्द भी छलक उठा। कुलपति ने कहा कि जब वे इस विश्वविद्यालय में पढ़ते थे तब उन्हें गर्व होता था लेकिन उसके बाद बदले हालातों ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि जब उनसे कोई आगरा विवि में एडमिशन लेने के लिए पूछता था तो वे मना कर देते थे। आगरा विवि में सत्र 2004-05 से लेकर 2012-13 तक डिग्री और मार्कशीटों में काफी फर्जीवाड़ा हुआ। कुलपति ने साफ कहा कि यह फर्जीवाड़ा किसी और ने नहीं बल्कि इसी विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने किया है। हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और पूछना चाहिए कि क्या ये हमने सही किया।

कुलपति प्रो. मित्तल ने कहा कि जब उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभाला उसके बाद उन्हें यह देखकर बड़ा दर्द हुआ कि छात्रों की एप्लीकेशन को बुरी तरह एक कोने में गट्ठर बना कर फेंक दिया जाता है। हमें सोचना चाहिए कि इन छात्रों में अगर हमारे अपने बच्चे हो तो क्या हम इस तरह उनके साथ बर्ताव कर सकते हैं। आगरा विश्वविद्यालय की इस स्थिति को ठीक करने के लिए हमें कड़ाई की जरूरत है जो बिना सभी के सहयोग से संभव नहीं है।

इस कार्यक्रम में आगरा विश्वविद्यालय के कुलसचिव अंजनी कुमार मिश्र, परीक्षा नियंत्रक राजीव कुमार, वित्त अधिकारी अरुण कुमार मंचासीन मौजूद रहे जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ लवकुश मिश्र ने किया।

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