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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर के आदेश

by admin
FIR orders against nine people including former Vice Chancellor of Dr. Bhimrao Ambedkar University

आगरा। । डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर के आदेश। मार्कशीट और अन्य कागजात जलाने के मामले में फंसाकर नौकरी से​ निकालने का आरोप।

आगरा विश्वविद्यालय में समय हड़कंप मचा हुआ है। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत नौ लोगों के खिलाफ कोर्ट ने परिवाद दर्ज करने के आदेश किए हैं। इस मामले में विश्वविद्यालय के ही पूर्व कर्मचारी ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें साजिश के तहत फंसाने, भ्रष्टाचार करने और 10 लाख रुपये की मांग करने के आरोप लगाए हैं।

कोर्ट में दिया था प्रार्थना पत्र
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात रहे कर्मचारी वीरेश कुमार ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल सहित प्रोफेसर अनिल वर्मा, प्रोफेसर बीडी शुक्ला, प्रोफेसर यूसी शर्मा, प्रोफेसर संजय चौधरी, सहायक कुलसचिव पवन कुमार, अमृतलाल, मोहम्मद रहीस और बृजेश श्रीवास्तव पर आरोप लगाए

ये लगाए आरोप
विवि कर्मचारी वीरेश ने आरोप लगाया है कि वह इतिहास विभाग में 23 वर्षों से कार्यरत था। विश्वविद्यालय में वर्ष 2015-16 से डॉ. बीडी शुक्ला व प्रोफेसर अनिल वर्मा के निर्देशन में अंक तालिकाओं की गलतियां संशोधित करने का काम किया जाता था। मोहम्मद रहीस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करते थे। यह अंक तालिकाओं में अपनी मर्जी से भ्रष्टाचार करते हुए फेरबदल करते थे। शासन से इस मामले में जांच शुरू हुई। आरोप है कि इस पर 12 दिसंबर 2020 को इतिहास विभाग में मौजूद संदिग्ध प्रपत्र को तीनों ने जला दिया।

मार्कशीट और अन्य कागजात जलाने के मामले में फंसाकर नौकरी से​ निकाला
विवि कर्मचारी वीरेश का कहना है कि प्रोफेसर अनिल वर्मा ने उनको बाहर जल रहे कागजों को देखकर आने को कहा। वो वहां पहुंचा तो कागज जल रहे थे। इसी दौरान कुलपति आ गए। साजिश के तहत उन्हें मार्कशीट और अन्य कागजात जलाने के मामले में फंसाकर नौकरी से निकाल दिया। वीरेश का कहना है कि भ्रष्टाचार और गलत कार्रवाई की शिकायत कुलाधिपति, पूर्व कुलपति, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से भी की।

बहाल करने को मांगे दस लाख रुपये
अभी तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। अब उसे बहाल करने के लिए 10 लाख रुपये की मांग भी की जा रही है। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने परिवाद के रूप में दर्ज कर लिया है। थाना हरीपर्वत पुलिस को इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। सुनवाई के लिए दो सितंबर की तारीख नियत की गई है।

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