कुंभ का मेला शुरू होने से पहले ही कुछ मुद्दों को लेकर उछाल आने लगा है। इस बार कुंभ का मेला हरिद्वार में लगने वाला है और हरिद्वार कुंभ से पहले साधु-संत तरह-तरह के मुद्दे उछालने में जुट गए हैं। परी अखाड़े की स्वघोषित महिला शंकराचार्य त्रिकाल भवंता ने 30 जनवरी को लंबी जद्दोजहद के बाद अरैल में अपने शिविर के लिए भूमि पूजन करने के बाद देवी के मंदिरों में तैनात पुरुष पुजारियों को तत्काल हटाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से गुहार लगाई है। उनका कहना है कि देवियों की पूजा और सेवा में पुरुष पुजारियों की नियुक्ति आपत्तिजनक है। परी पीठाधीश्वर ने कहा कि देश के सभी 51 शक्तिपीठों में लगे पुरुष पुजारियों को तत्काल हटाकर महिला पुजारिनों की नियुक्ति की जानी चाहिए। देवियों के श्रृंगार और आरती की जिम्मेदारी पुरुष पुजारियों से वापस लेकर महिला पुजारियों को देनी चाहिए।
परी पीठाधीश्वर ने इस बात को लेकर भूमि पूजन के बाद कहा कि देवी मंदिरों में पुरुष पुजारियों की तैनाती मर्यादा का सीधा हनन है। काफी दिनों से इस बात को बर्दाश्त किया जा रहा था लेकिन अब यह बर्दाश्त से बाहर है और अब इसे बहुत दिन तक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि वह इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा देश के सभी मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर शक्तिपीठों से पुरुष पुजारियों को हटाने के लिए दबाव बनाएंगी ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।
बता दें स्वयं को महिला शंकराचार्य घोषित करने वाली त्रिकाल भवंता ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि कामाख्या धाम से लेकर विंध्याचल धाम और दुर्गाकुंड तक के मंदिरों में मां की प्रतिमाओं का श्रृंगार पुरुष पुजारी कैसे कर रहे हैं, यह विचारणीय प्रश्न बन गया है जिस पर तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर महिलाओं के साथ अभी भी शोषण ही हो रहा है। परी अखाड़े का उद्देश्य स्त्री और पुरुष दोनों को बराबर का दर्जा दिलाना है लेकिन एक खास बात और कि हरिद्वार कुंभ से पहले हाल में ही परी अखाड़े को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि ने फर्जी तक घोषित कर दिया था।
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