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किन्नू – मुसम्मी से 12 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं किसान दिनेश परिहार

by admin

आगरा जनपद के ब्लॉक पिनाहट क्षेत्र के अंतर्गत गांव विजय घड़ी में किसान ने गांव में ही अपनी खेती में किन्नू और मुसम्मी का बाग लगाकर अपनी खेती करने का तरीका ही बदल दिया है। जिससे वह फलों के पेड़ से लाखों सालाना कमा रहे हैं। साथ ही अन्य किसानों को भी खेती को करने की जानकारी दे रहे हैं।

आपको बता दें दुनिया के बदलते दौर में लोग नित रोज नए-नए आयाम स्थापित कर रहे हैं और अपनी आय को बढ़ाने के लिए व्यापार बिजनेस का तरीका भी लगातार बदल रहे हैं। जिससे आने वाले दिनों में लोगों को कम लागत में मुनाफा ज्यादा हो। वहीं किसान ने भी अपनी खेती में नई तकनीकी और नई सोच के साथ खेती करने का तरीका बदल दिया है जिससे उन्हें अच्छी खेती से कमाई हो रही है।

ऐसा ही मामला पिनाहट ब्लॉक क्षेत्र के गांव विजय गढ़ी का है। यहां के निवासी किसान दिनेश परिहार ने अपनी खेती से लाखों रुपए की कमाई कर लोगों को चौकाने पर मजबूर कर दिया है। किसान दिनेश ने बीते 5 साल पहले अपनी 45 बीघा खेती में 2 लाख खर्च कर किन्नू और मुसम्मी के पौधे लगाकर बाग लगाया। जिसमें वह पौधों के बीच आलू और गेहूं की खेती भी करते रहे। मगर किन्नू और मुसम्मी के पेड़ अब बड़े हो गए हैं। कम लागत में लगे फल के पेड़ अब उन्हें लाखों रुपए की कमाई का जरिया बन गए।

पेड़ पर फल आने पर अब व्यापारी पहुंच रहे हैं। किन्नू और मुसम्मी के फलों की फसल को बेचकर किसान करीब 10 से 12 लाख रुपए सालाना तक मुनाफा कमा रहा है। खेती में ही लाखों रुपए की फसल पैदा कर के सामने क्षेत्रीय किसानों को चौंकाने पर मजबूर कर दिया है। किसान दिनेश ने अपनी खेती करने का तरीका बदला तो वही खेती अब लाखों रुपए का मुनाफा दे रही है।

किसान दिनेश का कहना है कि वह तो लाखों कमा ही रहे हैं, साथ ही उन्होंने अपने गांव और क्षेत्र के लोगों को भी मुसम्मी – किन्नू की खेती करने के लिए जागरुक कर रहे हैं। इस वर्ष भी उन्होंने करीब 10 लाख रुपए की किन्नू और मुसम्मी की फल बेचकर मुनाफा कमाया।

किस तरीके की खेती

किसान दिनेश परिहार के मुताबिक खेती में 10 फीट की दूरी पर मुसम्मी और किन्नू के प्रत्येक पौधे को लगाया गया। अब वह फलाने के साथ अपना आकार भी बढ़ा रहे हैं। शुरुआत में किन्नू और मुसम्मी का पौधा लगाने के दौरान उन्हें काफी रखवाली और रखरखाव के लिए मेहनत करनी पड़ी। सिंचाई के लिए एक जगह लगे ट्यूबवेल की पाइप लाइन खेत में लगे प्रत्येक पौधे तक पहुंचाई गई। जहां पाइपलाइन द्वारा दवा, खाद, और पानी को पौधों तक पहुंचाया गया। पौधों के बीच में लगातार खेती भी होती रही। अब पौधों का आकार बढ़ा हुआ और फल भी आने लगे हैं। जिससे वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

उनका कहना है कम लागत में उन्होंने पौधे लगाए थे। आज वही पौधे उन्हें लाखों रुपए का फायदा दे रहे। अब वे अन्य किसानों को भी किन्नू-मुसम्मी के साथबाग लगा कर मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

स्पेशल रिपोर्ट – नीरज परिहार

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