Agra. विद्युत विभाग के निजीकरण के विरोध में एक बार फिर विद्युत कर्मियों का गुस्सा सरकार पर फूटने लगा है। आक्रोशित विधुत कर्मचारियों ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले एक दिवसीय कार्य का बहिष्कार किया और डीवीवीएनएल मुख्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण को समाप्त किए जाने सहित कई मांगों का मांग पत्र भी सौंपा।
डीवीवीएनएल मुख्यालय में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के देवेंद्र सिंह और जसवंत सिंह का कहना था कि सरकार लगातार विद्युत विभाग को प्राइवेट हाथों में दे रही है। ग्रेटर नोएडा और आगरा इसका उदाहरण है। निजीकरण के विरोध में ही आगरा शाखा के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया है।
डीवीवीएनल की ओर से समिति के संयोजक ओपी गुप्ता ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने विद्युत कर्मचारियों के विरुद्ध नई- नई नीतियां बनाकर निजीकरण करने के लिए तैयार है। इससे उपभोक्ता और विद्युत कर्मी दोनों को नुकसान हो रहा। इस प्रदर्शन के माध्यम से वह सरकार तक अपनी मांग पहुंचा रहे हैं कि विद्युत विभाग को जहां-जहां अभी तक निजी हाथों में सौंपा गया है, उसका निजी करण समाप्त हो और भविष्य में किसी भी जगह विद्युत विभाग का निजी करण ना किया जाए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अमित चौधरी और विष्णु शर्मा का कहना था कि जब तक सरकार उनकी मांग पत्र पर ध्यान नहीं देती और इन मांगों को पूरा नहीं करती यह आंदोलन इसी तरह चरणबद्ध तरीके से चलता रहेगा जिससे केंद्र और प्रदेश की गूंगी बहरी सरकार विद्युत कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य विभागों के निजीकरण के विरोध में उठ रही आवाजों को सुन सके।
ये रही मांगें-
1:- विद्युत संशोधन बिल 2020 का मसौदा व निजीकरण निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिलिंग डॉक्युमेंट को निरस्त किया जाए।
2:- ग्रेटर नोएडा और आगरा में हुए निजीकरण करार को निरस्त किया जाए।
3:- सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण करके उत्पादन, पारेषण व वितरण को एक साथ करके केरल की केएसईबी लिमिटेड व हिमाचल प्रदेश की एचपीएसईबी लिमिटेड की तरह यूपीएसईबी लिमिटेड गठित किया जाए।
4:- सभी विद्युत कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना वर्ष 2000 से लागू की जाए।
5:- नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाए।
6:- कर्मचारियों को तेलंगाना की तरह नियमित किया जाए।
7:- विद्युत विभाग में खाली पदों को तत्काल भरा जाए।
8:- वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए और तीन पदोन्नत पदों का समयबद्ध वेतन दिया जाए।
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