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एम्बुलेंस न मिलने से कोई रिक्शे से तो कोई बाइक पर ही ले जा रहा है शव

by admin
Due to non-availability of ambulance, someone is carrying the dead body on a bike by rickshaw.

Firozabad. कोरोना संकट काल में ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिन्हें देख लगता है कि लोगों की संवेदनायें जैसे खत्म हो चली है। यह तस्वीरें भले ही स्थानीय प्रशासन की नाकामी दर्शाती हो या फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं लेकिन तस्वीरें झकझोर के रख देती है। ऐसी ही कुछ तस्वीरें फिरोजाबाद के सरकारी ट्रामा सेंटर की है। एक महिला अपने बीमार पति को ई-रिक्शा से सरकारी ट्रामा सेंटर लेकर आईं लेकिन अस्पताल पहुँचने से पहले ही उस मरीज ने दम तोड़ दिया, जिसके बाद चिकित्सकों ने उस मरीज को मृत घोषित कर दिया। इस दौरान महिला अपने पति के शव को ले जाने के लिय एम्बुलेंस तक नही मिली और न ही अस्पताल प्रशासन ने उसकी कोई मदद की। हारकर महिला ने पति के शव को ई-रिक्शा में ही बांधकर ले जाना पड़ा और खुद पति के शव को पकड़े रही।

थाना लाइनपार इलाके के मोहल्ला रामनगर निवासी 65 साल की महिला रविवार को बीमार पति को ई-रिक्शे से सरकारी ट्रामा सेंटर लेकर आई। मरीज की हालत गंभीर थी। ट्रामा सेंटर में चेकअप के बाद चिकित्सक ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। महिला अपने पति के शव को एम्बुलेंस से ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने के लिए अस्पताल प्रशासन से गुहार लगती रही लेकिन उसकी कोई मदद नहीं हुई।

पीड़ित महिला ने बताया कि उनके पति कई दिनों से बीमार थे। रविवार सुबह उनकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद वह बीमार पति को ई-रिक्शा से सरकारी ट्रामा सेंटर ले गई जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। पति की मौत के बाद अस्पताल स्टाफ ने शव वाहन की व्यवस्था नहीं की। इसके बाद मजबूर होकर उन्हें पति के शव को ई-रिक्शा से ले जाना पड़ा।

ई-रिक्शा में पति के शव को संभालना मुश्किल हो रहा था। इसलिए पति के शव को ई-रिक्शा से बांधना पड़ा था जिससें उनका शव रास्ते मे गिर न जाये। रास्ते में जिस किसी की भी नजर ई-रिक्शा पर पड़ी वह स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था को कोसता नजर आया।

कुछ दिनों पहले टूंडला के जरौली कला निवासी शिवनारायण के साथ भी यही हुआ। उनकी बेटी की तबियत खराब हुई थी। बेटी को सांस लेने में दिक्कत आई तो वह अपने एक साथी की मदद से बाइक पर बिठाकर सरकारी ट्रॉमा सेंटर आया। यहां पर ऑक्सीजन की लगवाने के लिए पिता ने गुहार लगाई ताकि बेटी की जान बच सके लेकिन चिकित्साकर्मियों ने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हैं इसलिए वे ऑक्सीजन नहीं लगा पाएंगे। काफी मिन्नतों के बीच बेटी को हाथों में पकड़े शिवनारायण की एक नहीं सुनी। इसके बाद बेटी ने दम तोड़ दिया।

पीड़ित शिवनारायण ने बताया कि उनके सामने उनकी बेटी ने दम तोड़ दिया। बेटी के शव गांव ले जाने को सरकारी एंबुलेंस के लिए फोन किया था लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं हुई। इसके बाद अपनी बेटी का शव बाइक पर ही रखकर साथी की मदद से गांव लेकर गया।

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