Agra. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता से जोड़ा और अपने क्षेत्र, शहर व ग्रामीण अंचल को स्वच्छ रखने पर जोर दिया लेकिन आज उनके इस अभियान को जनप्रतिनिधि व संबंधित विभाग के लोग पलीता लगा रहे हैं। ऐसी ही कुछ तस्वीरें पोइया गांव की है।
लगभग 25 साल से कई परिवार जनप्रतिनिधियों व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। क्षेत्र के नाले पूरी तरह से चौक पड़े हुए हैं और नाले नालियों का पानी सड़कों पर जमा हो रहा है। पिछले 25 सालों में ना जाने कितने अधिकारी और जनप्रतिनिधि बदल गए लेकिन कई बार शिकायत करने के बावजूद इस क्षेत्र की जलभराव वाली समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। आज इस जल भराव के बीच लोगों को जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है और जलभराव के कारण कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित भी हो चुके हैं।
जलभराव की यह तस्वीर ग्राम पंचायत पोइया गांव की है। आजादी के कई दशकों के बाद गांव में सड़क बनी और जलनिकासी के लिए नाला बना। उस समय विकास कार्य होने से ग्रामीण काफी उत्साहित थे लेकिन आज यह नाला ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। जब से यह नाला बना उस दिन से लेकर आज तक इस नाले की सफाई नहीं हुई। लगातार सिल्ट जमा होती गई और आज नाला बिल्कुल समतल हो चुका है। नाले की सफाई ना होने और उसके समतल हो जाने से लोगों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी लोगों के घरों में ही जमा होने लगा तो लोगों ने अपने अपने घरों के आगे इस नाले को रोक दिया है और इस नाले में आने वाला गंदे पानी को सड़क पर मोड़ दिया। आज गांव का गंदा पानी जगह-जगह सड़कों पर जमा हो रहा है।
इस दौरान एक पीड़ित ग्रामीण गिर्राज सिंह ने बताया कि लगभग तीन दशक पहले काफी गहरा नाला बनाया गया लेकिन आज नाला समतल हो गया है और नाले का सड़क व गलियों में पानी जमा होने से उनके घर को नुकसान हुआ है। जलभराव के कारण उनकी घर की दीवार गिर गयी। गनीमत रही कि कोई परिवारीजन इस हादसे का शिकार नही हुआ।
पीड़ित ग्रामीण चंदा निषाद, मुन्ना खाँ ने बताया कि पोइया पुराने मिट्टी के पहाड़ों पर बसा हुआ है। कहीं एक दम ऊंचाई है तो कहीं समतल है। विगत तीन दशक पहले नाले उसी के अनुसार बने थे। कुछ दिनों तक जलभराव की कोई समस्या नहीं रही लेकिन नालों की सफाई न होने से नाले में सिल्ट जमा हुई और नाला पूरा समतल हो गया है। ऐसे में ऊंचाई पर रहने वालों को कोई दिक्कत नहीं है वहाँ से पानी सीधे नीचे आता है और इसी स्थान पर जमा हो जाता है। जलभराव होने से लगभग आधा दर्जन परिवार नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।
पीड़ित ग्रामीण नरेश निषाद और रनवीर ने बताया कि जलभराव और नालों की सफाई के लिए कई बार प्रधान से शिकायत की गई है लेकिन प्रधान ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया बल्कि पीडब्ल्यूडी विभाग में इसकी शिकायत करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाता है। पीडब्ल्यूडी विभाग भी सुनने को तैयार नहीं है, ऐसे में ग्रामीण कहां जाएं। कोई सुनवाई ना होने से इस नर्क के बीच जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना था कि आए दिन इस जलभराव के कारण हादसे होते हैं कई मोटरसाइकिल स्लिप हो गई है तो वहीं बच्चों को भी आवागमन में काफी दिक्कतें होती हैं। जिन लोगों के घर के आगे जलभराव हो रखा है उनके परिवार तो कई बार संक्रमित रोगों से ग्रसित भी हो चुके हैं और अब तो कोरोना का संकट भी सभी के सामने हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन और प्रधान को इससे कोई सरोकार नहीं है।
पीड़ितों का कहना है कि अब एक बार फिर प्रधान और ग्राम पंचायत के चुनाव नजदीक हैं। इस चुनावी मैदान में कई नेता उतरेंगे और उनसे उनका वोट मांगने के लिए भी उनके पास आएंगे लेकिन पिछले 20 से 25 सालों में जो स्थिति उन्होंने देखी है उसे ऐसा लगता है कि चुनावों में मतदान ही नहीं करना चाहिए।
पीड़ित ग्रामीण फतेह सिंह, फतेह चंद बोस, बबलू और इकबाल ने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार गांव के प्रधान से मुलाकात की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई ना होने पर इस समस्या को मुख्य विकास अधिकारी और बीडीओ के समक्ष भी रखा गया। मुख्य विकास अधिकारी और बीडीओ ने यहां के दौरे भी किये लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। कागजों पर कार्रवाई तो होती है लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जाता जिसके कारण आज पोइया गांव के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
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