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डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी महाराज ने सुनाई गोकर्ण व धुंधकारी की कथा

by pawan sharma
  • श्रीजू लाडली श्याम परिवार द्वारा होटल सेलीब्रेशन में आयोजित की गई है श्रीमद्भागवत कथा

आगरा। सच्चिननंद यानि सत्य, चित्त और आनन्द, यही है भगवान का स्वरूप। जो अडिग है वही सत्य है और अडिग सिर्फ ईश्वर है। यही भागवत का निचोड़ है। श्रीजू लाडली श्याम परिवार द्वारा होटल सेलीब्रेशन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के कथावाचक डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी महाराज ने यह बात कही। व्यासपीठ से कथा का वाचन करते हुए उन्होंने प्रथम दिन भागवत कथा के महात्मय को समझाते हुए शुकदेव महाराज की जन्म कथा सनकादिक ऋषि और नारद जी के बीच भागवत चर्चा का विस्तार से वर्णन किया।

श्रीधाम वृंदावन से पधारे पूज्य श्री डॉ. संजय कृष्ण “सलिल” जी महाराज ने प्रथम दिवस श्रीमद् भागवत कथा के महात्म की चर्चा करते हुए बताया किस प्रकार नारद जी ने महारानी भक्ति देवी के पुत्र ज्ञान और वैराग्य के सनकादिक ऋषियों के द्वारा भागवत कथा का श्रवण कराके दोनों पुत्रों को पुण्य किया आगे महाराज जी ने बताया की सनकादिक ऋषि नारद जी को बताते हैं कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से बड़े से बड़ा पापी भी तर जाता है इस संदर्भ में उन्होंने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा सुनाई। धुँधकारी महापापी अत्याचारी कुटिल,कामी था, मृत्यु के पश्चात भयंकर प्रेत बना परंतु जब गोकर्ण जी ने भागवत कथा का श्रवण कराया तो वह पुनीत पावन और दिव्य पुरुष बनाकर स्वर्ग को चला जाता है।

कथा में सुरेश चंद अग्रवाल, अनिल मित्तल, अरुण मित्तल, नीतू बंसल, ऋषिक मंगलिक आदि उपस्थित थे।

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