Home आगरा अपने सुख और दु:ख की डोर किसी और के हाथों में न सौपे – जान्हवी पंवार (वंडर गर्ल)

अपने सुख और दु:ख की डोर किसी और के हाथों में न सौपे – जान्हवी पंवार (वंडर गर्ल)

by admin

आगरा। 13 वर्ष की उम्र में 12वीं पास कर कालेज जाने वाली हरियाणा के समालखा के मालपुर जैसे छोटे से गांव लड़की को उसके पापा ने इंडियाज वंडर गर्ल जान्हवी पंवार बनाया। पापा की मेहनत रंग लाई और आज जान्हवी को सारी दुनिया जानती है।

मोटीवेशनल स्पीकर, टीवी एंकर, 9 विदेशी लहजों में महारथ हासिल करने वाली जान्हवी जब आज स्पाइसी शुगर संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंची तो 10-12 वर्ष के बच्चों से लेकर 60 वर्ष की महिलाएं तक उन्हें सुनने को उत्सुक दिखीं।

स्पाइसी शुगर संस्था की अध्यक्ष पूनम सचदेवा ने जान्हवी व उनके पिता ब्रज मोहन का स्वागत कर परिचय दिया। जान्हवी ने कहा कि अपने सुख और दुख की डोर किसी के हाथों में न दें। आप इतने कमजोर नहीं हो सकते कि किसी बातें आपको दुखी कर दें या खुश कर दें। लोगों के ओपिनियन, सुझावों को अपने ऊपर हावी कर लेते हैं। आपके प्रति किसी का ओपीनियन उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है न कि आपके। इसलिए हमेशा सकारात्मक रहें।

जाह्नवी ने कहा कि आज किसको कितने लाइक मिले, किसे कितनों ने सब्सक्राइब किया, इस बात को लेकर दुखी हैं। टारगेट अचीवर बने, कभी नहीं हारेंगे। उम्र का कम या ज्यादा होना मायने नहीं रखता कुछ सीखने के लिए। यदि आपको कोई चीज नहीं आती तो कोई बात नहीं, इस पर झिझकें नहीं। जो नहीं आता उसे कभी भी सीखा जा सकता है। खुद पर विश्वास रखें। हमेसा अपने आत्मविश्वास को जगाए रखें।

जान्हवी ने कहा कि रिपोर्ट कार्ड के नम्बर आपके ज्ञान का आंकलन नहीं कर सकते। क्योंकि आपने निश्चित कोर्स को पूरे साल पढ़कर या कुछ दिन में पढ़कर परीक्षा दी है। हमें अपनी क्षमताओं को पहचानना चाहिए। हर व्यक्ति अपनी-अपनी फील्ड का मास्टर होता है। किसी चीज को कठिन समझकर उससे भागें नहीं बल्कि उसे पहले और अधिक समय दें। कहा कि सफर मंजिल से भी खूबसूरत होता है।

हर क्षेत्र की जानकारी रखने वाले बृज मोहन पंवार (जान्हवी के पिता) सिर्फ अंग्रेजी अच्छी न होने के कारण किसी अच्छी कम्पनी में नौकरी नहीं पा सके। जान्हवी ने बताया कि मेरे पापा ने अपनी शादी से पहले ही यह सोच लिया था कि वह अपने बच्चों को अच्छी अंग्रेजी जरूर सिखाएंगे। क्योंकि कितना भी ज्ञान हो लेकिन आज के समय में इंग्लिश आना जरूरी है। मेरे पापा ने गांव में रहने के बावजूद मेरी शिक्षा के लिए एक बेहतर वातावरण बनाया। आज मैं जो भी हूं मेरे पापा की मेहनत के कारण हूं।

कार्यक्रम से पूर्व एक पहल संस्था के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. रंजना बंसल, आशिता बत्रा, चांदनी ग्रोवर, पांवनी सचदेवा, अंजुल सिंघल, दिव्या वाधवा, हरमीत चोपड़ा, कोमिला धर, मीनू, निष्ठा गोयल, सिमरन, पुष्पा, गरिमा, रितू, रुचि, शिप्रा, स्वाती आदि उपस्थित रहीं।

Related Articles

Leave a Comment

%d bloggers like this: