Agra. दिव्यांगों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की बात पीएम नरेंद्र मोदी करते हैं इसके लिए कई योजनाएं भी संचालित हैं लेकिन इसके उलट जिला प्रशासन के एक विभाग ने एक ऐसी घटना को अंजाम दे दिया जिसकी चारों ओर किरकिरी हो रही है। अपने रोजगार को बचाने के लिए यह दिव्यांग दंपत्ति रोज जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहा है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब मजबूरन इस दिव्यांग दंपति ने ऐलान किया है कि अगर उसकी रोजी-रोटी नहीं बची तो वह आत्महत्या के लिए को मजबूर हो जाएगा।
एडीए ने किया बेरोजगार
पीड़ित दिव्यांग दंपत्ति शारदा विहार बोदला का रहने वाला है। शास्त्रीपुरम फ्लाईओवर के नीचे दिव्यांग खोका चला कर अपनी जीविका अर्जित कर रहा था लेकिन एक महीने पहले एडीए विभाग के अधिकारी पहुंचे। अपनी जमीन बताकर दिव्यांग का खोखा वहां से हटवा दिया। काफ़ी विनती करने के बाद भी एडीए अधिकारी नहीं माने और कह दिया जिला मुख्यालय से परमिशन ले आओ तो खोखा लगाने देंगे। अब विकलांग दंपत्ति पिछले 1 महीने से जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहा है लेकिन फ्लाईओवर के नीचे खोखा संचालित करने के लिए अनुमति नहीं मिल पा रही। खोखा ना होने से दिव्यांग दंपति पूरी तरह से बेरोजगार है। पिछले 1 महीने से जमा पूंजी भी खर्च हो गई और अब पीड़ित भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।
दिव्यांग दंपत्ति के हैं 4 बच्चे
दिव्यांग भागीरथ ने बताया कि उसके 4 बच्चे हैं। 3 लड़कियां हैं और एक लड़का है। ऐसे में उन सभी के बरस पोषण की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। वह विकलांग था, नौकरी नहीं मिली। इसीलिए परिवार के भरण-पोषण के लिए फ्लाईओवर के नीचे खोका रख कर अपनी जीविका अर्जित करने लगा लेकिन एडीए को यह भी नागवार गुजरा। 12 साल बाद एडीए ने आकर उसके खोके को हटा दिया। अब वह अपने 4 बच्चों का भरण पोषण कैसे करेगा।
1 महीने से काट रहा है चक्कर
पीड़ित दिव्यांग भागीरथ अपनी पत्नी के साथ एक महीने से जिला मुख्यालय के चक्कर काट रहा है जिससे जिलाधिकारी कार्यालय से उसे फ्लाईओवर के नीचे खोखा लगाने की अनुमति मिल जाए। जिलाधिकारी कार्यालय में बैठे अधिकारी उसका प्रार्थना पत्र तो लेते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करते जिसके चलते दिव्यांग दंपति का मनोबल भी टूटने लगा है।
दिव्यांग भागीरथ ने जिला मुख्यालय पर ऐलान किया कि वह लगातार अनुमति के लिए चक्कर काट रहा है। अगर खोखा संचालित करने के लिए उन्हें अनुमति नहीं मिली या फिर जीविका के लिए उनका कोई प्रावधान नहीं कराया तो वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएगा और इसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।
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