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कांग्रेस के विरोध के बावजूद प. नेहरू ने गणतंत्र दिवस पथ संचलन में RSS को दिया था न्यौता

by admin

आगरा। आरएसएस के द्वतीय सर संघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर की जयंती पर सेक्टर 3 स्थित शनिदेव मंदिर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने माधव राव गोलवलकर के जीवन पर अपने विचार रखे और उनके सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया।

भाजपा नेता अरुण पाराशर ने कहा कांग्रेस 1947 में धर्म के आधार पर देश के विभाजन में जुटी थी, वही संघ गोलवलकर के नेतृत्व में विभाजन से पीड़ितों को सहारा देने और विभाजन के दंश को रोकने में जुटा था। गुरुजी ने पाकिस्तान के क्षेत्र में प्रवेश कर लोगों का हौसला बढ़ाया। गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया। गोलवलकर को गिरफ्तार कर लिया गया तो देशभर में स्वर उठा था या तो संघ पर आरोप सिद्ध करो या प्रतिबन्ध हटाओ। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने नेहरू को पत्र लिखा था कि गांधी की हत्या में एक भी व्यक्ति आरएसएस का शामिल नहीं है। उसके बाद प्रतिबंध हटाने पर सरदार पटेल ने हर्ष व्यक्त किया, जिससे संघ को बदनाम करने का कांग्रेसी षड्यंत्र बेनकाब हो गया था।

भाजपा बृजक्षेत्र मीडिया संपर्क प्रमुख केके भारद्वाज ने कहा गोलवलकर ने 1939 में संघ चालक बनने के बाद संघ को देश के हर जिले तक पहुंचाया। 1962 के चीन युद्ध के दौरान भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया और जन समर्थन जुटाया। जिसे नेहरू ने भी संघ के योगदान को स्वीकार कर लिया और 1963 के गणतंत्र दिवस के पथ संचलन में स्वयंसेवकों को कांग्रेस के विरोध के बावजूद आमंत्रित किया। 3000 गणवेश धारी स्वयंसेवकों ने घोष की ताल पर कदम से कदम मिलाकर संचलन किया, जो आकर्षण का केंद्र बन गया था।

ग़ोष्ठी में परमाल नागर, मनोज शर्मा, ओमप्रकाश गोला, ग्रीस भारद्वाज, चन्द्रप्रकाश प्रजापति, विवेक श्रीवास्तव, वीरेंद्र सिंह, प्रमोद बघेल, राजीव जैन, अरविंद कर्दम, संदीप प्रजापति आदि मौजूद रहे।

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