आगरा। एत्मादपुर का एक गांव जीर्णोद्धार के लिए पिछले 13 साल से प्रशासन की राह देख रहा है। गांव के निवासी प्रभु दयाल सिंह पिछले 13 साल में 25 बार तहसील दिवस में शिकायत कर चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी है। गाँव में बने शमशान घाट की स्थिति भी बद से बदतर हो चुकी है।
एत्मादपुर तहसील क्षेत्र के गांव बास जोखी के निवासी गुरदयाल सिंह ने संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान शिकायत की कि वे पिछले 13 वर्षों से 25 बार श्मशान घाट के जीर्णोद्धार के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। गुरदयाल सिंह का कहना है कि गांव के श्मशान घाट में बरसात का पानी भर जाने से अंतिम संस्कार में भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। उनकी शिकायत के बाद कुछ अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन अधिकारियों का मौके पर पहुंचना मात्र औपचारिकता ही रहा क्योंकि समस्या फिर भी जस की तस बनी रही। हालांकि आदमी मरने के बाद स्वर्गवासी हो जाता है। भारत का कोई भी कानून और संविधान उसकी मौत के बाद उसके अपमान की इजाजत नहीं देता। लेकिन इस गांव के श्मशान घाट में लोगों की मौत के बाद दुर्गति हो रही है।
हर महीने में दो बार संपूर्ण समाधान दिवस आयोजित होता है। इसमें बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि इस छोटी सी समस्याओं के निराकरण के लिए भी इतने वर्ष आखिर कैसे लग जाते हैं और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन हैं। हालांकि गुर दयाल सिंह से एसडीएम एत्मादपुर ने श्मशान घाट में प्रधान द्वारा मिट्टी डलवाए जाने का आश्वासन दिया है। अब देखने वाली बात होती है कि यह आश्वासन भी पूरा होता है कि नहीं।