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डिप्टी सीएम ने सुनी श्रीमद्भागवत कथा, सती चरित्र व ध्रुव चरित्र का हुआ वर्णन

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आगरा। जो जगत में माया का दास बनकर नाच रहा है वह जीवात्मा, श्रीहरि की माया के जगत में रहकर भी जो भगवान की भक्ति में डूबा है वह महात्मा और जो अपनी माया से जगतको नचा रहा है वह परमात्मा है। जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने का सेतू है महात्मा। सिद्ध संत ही जीवात्मा को परमात्मा से मिला सकते हैं। परमात्मा को पाने से भी कठिन कार्य सिद्ध संत को प्राप्त करना है। महात्मा जीव की व्यथा परमात्मा से और जीव को हरि कथा सुनाते हैं। फतेहाबाद रोड स्थित राज देवम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठाचार्य डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर ने आज संत की महिमा का वर्णन करते हुए सति चरित्र व ध्रुव चरित्र का संगीतमय वर्णन किया।

श्रीरामचरित मानस की चौपाई अस कहि चला विभीषण जबहीं, आयु हीन भए सब तबहीं, साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्याण अखिल के हानी… की व्याख्या करते हुए कहा कि लंका में जब तक संत विभिषण और हस्तिनापुर में जब तक विदुर रहे वहां धर्म रहा। लेकिन संत रूपी विदुर और विभीषण के हस्तिनापुर व लंका त्यागने पर समस्त पुण्य चला गया। धर्मचारी व्यक्ति के पुण्यकारी कर्मों से राक्षस भी बच जाते हैं। जब आप धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म बल आपकी रक्षा कर पाएगा। धर्म रूपी विदुर के जाने से हस्तिनापुर धर्मनिरपेक्ष हो गया। जो हाल धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का होता है वही हाल हस्तिनापुर का हुआ। वंश और राज्य दोनों का विनाश हो गया।

दासी पुत्र विदुर की कथा का भी भावपूर्ण वर्णन किया। कहा भगवान नन्द सिंधु, सुखदायी है और दुनिया भव सागर है। विपरीत ज्ञान के कारण भवरोग से ग्रसित होने से हमारा मन श्रीहरि की भक्ति में नहीं लगता। कहा गली संत वहीं है जिसमें सहनशीलता, करुणा, सुहृदय, अजात शत्रु और महात्मा होने के गुण हों। कथा विश्राम पर संतोष शर्मा व उनकी धर्मपत्नी ने आरती कर सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। कथा के उपरान्त बृज किशोर वशिष्ठ ने संगीतमय सुन्दरकाण्ड का पाठ किया।

अपने सुख दुख की चाबी अपने हाथ में रखिए

अपने सुख दुख की चाबी किसी दूसरे के हाथों में न दें। यह पराधीनता का संकेत है। साधू अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं, इसलिए स्वस्थ रहते हैं। जो स्व स्वरूप में स्थित रहे वही स्वस्थ है। स्व स्वरूप का र्थ है न किसी के अपमान से दुखी हों और किसी के सम्मान से अहंकार करें।

सृष्टि का पहला संविधान है मनुवृत्ति

कथावाचक डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर ने कहा कि सृष्टि का पहला संविधान है मनुवृत्ति, जिसका आधार वेद हैं। जो मानव को जीवन जीने की नियम और व्यवस्था सिखाते हैं। वर्ण व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा इस व्यवस्था के मूल स्वरूप को हम समझ ही नहीं पाए। जाति बुरी नहीं थी, जातिवाद खतरनाक है, जो दूषित राजनिती का परिणाम है।

डिप्टी सीएम ने भी सुनी श्रीमद्भागवत

श्रीमद्भागत कथा का रसपान करने आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी पहुंचे। व्यासपीठाचार्य डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर का आर्शीवाद प्रदान किया। इस अवसर पर सांसद रामशकर कठेरिया, राजकुमार चाहर, रानी पक्षालिका, मेयर हेमलता दिवाकर, विधायक धर्मपाल सिंह, एमएलसी विजय शिवहरे, गिरार्ज सिंह कुशवाह, भानू महाजन, शैलू पंडित, गौरव राजावत आदि उपस्थित रहे।

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