आगरा। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भले ही उत्तर प्रदेश में आगरा का मॉडल सराहा जा रहा हो या फिर आगरा का जिला प्रशासन कोरोना पर लगाम लगाने के कितने ही दावे कर रहा हो लेकिन हकीकत में स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत नजर आ रही है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि आगरा में कोरोना संक्रमित मरीजों का ग्राफ रिकॉर्ड तोड़ बढ़ता जा रहा है और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आगरा में कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बने भगवान टॉकीज स्थित निजी अस्पताल में कोरोना संक्रमित 3 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि प्रशासन इन मौत का कारण अन्य गंभीर बीमारी को बता रहा है।
आगरा के भगवान टॉकीज स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में शनिवार को कैंसर से पीड़ित शिकोहाबाद निवासी महिला की मौत हो गई थी। वहीं फर्रुखाबाद की एक 45 वर्षीय महिला को ब्रेन हेमरेज के बाद भर्ती कराया गया था, रविवार को उसकी भी मौत हो गई। जांच रिपोर्ट में दोनों महिलाएं कोरोना पॉजिटिव आई हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि दोनों मरीजों की हालत गंभीर थी, इसलिए उनकी मौत हुई है। गौरतलब है कि इससे पहले 8 अप्रैल को कमला नगर, बसंत विहार निवासी 76 वर्षीय महिला की भी एसएन में इलाज के दौरान मौत हो गई थी, कोरोना संक्रमित इस महिला की मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया था।
देखा जाए तो भगवान टॉकीज स्थित यह प्राइवेट हॉस्पिटल पहले ही कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुका था। आगरा डीएम पी एन सिंह ने इसे शहर का सबसे बड़ा एपीसेंटर घोषित किया था जिसके बाद यहां पर किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। इस अस्पताल में कोरोना से जुड़े मामले सामने आ रहे थे, बावजूद इसके अस्पताल में मरीजों को इलाज के लिए भर्ती किया गया। जिला प्रशासन के नियमों की अवहेलना की गई लेकिन फिर भी आगरा डीएम ने हॉस्पिटल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि कमला नगर बाईपास रोड स्थित अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक पर केवल मात्र सूचना न देने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
ऐसे में स्पष्ट है कि जिला प्रशासन आगरा में फैल रहे कोरोना को लेकर गंभीर नहीं है, ना ही कोरोनावायरस पर लगाम लगाने में उनकी रणनीति सफल हो रही है। पिछले तीन-चार दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा इतनी तेजी से बढ़ा है कि शहरवासियों में दहशत पैदा हो गई है। ऐसे में हैरानी होती है की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आगरा के कौन से मॉडल की सराहना की जा रही है।