उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अंतर्गत नंगला छत्तू गांव में मगरमच्छ दिखने के बाद गाँव में हडकंप मच गया। सूचना पर पहुची वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग की टीम ने 5 फुट लंबे मगरमच्छ को पकड़ा। मगरमच्छ को सफलतापूर्वक बाद में वापस अपने प्राकर्तिक आवास में छोड़ दिया गया।
गुरुवार को नंगला छत्तू गांव के निवासी एक मगरमच्छ को गाँव की सड़क पर घूमते देख दहशत में आ गए। घटना की सूचना वन विभाग को दी गई, जिसके बाद उन्होंने वाइल्डलाइफ एसओएस की तीन सदस्यीय टीम को बचाव अभियान में सहायता के लिए बुलाया।
इस दौरान मगरमच्छ की एक झलक पाने के लिए वहाँ भीड़ उमड़ पड़ी। यह सुनिश्चित करने के बाद कि वहाँ मौजूद दर्शक मगरमच्छ से सुरक्षित दूरी पर हैं, वन विभाग के अधिकारियों और वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने आवश्यक उपकरणों के साथ बचाव अभियान को अंजाम दिया। मगरमच्छ को फिट करार दिए जाने के बाद वापस अपने प्राकर्तिक आवास में छोड़ दिया गया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “मगरमच्छ पास ही स्थित नहर के माध्यम से गांव पहुंचा होगा। हमारा उद्देश्य लोगों को जागरूक कर कारणों से अवगत कराकर ऐसी परिस्थितियों को कम करना है, जो मगरमच्छों को मानव आवासों में प्रवेश करने के लिए मजबूर करती हैं, और इन सरीसृपों के व्यवहार को समझने में लोगों की मदद। किसी भी प्रकार के मानव-वन्यजीव संघर्ष से बचने के लिए ये कदम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, “मगरमच्छ तालाबों, नदियों, झीलों और दलदलों सहित मीठे पानी के आवासों में पाए जाते हैं और वे अधिक उपयुक्त आवास की तलाश में भूमि पर भी काफी दूरी तय कर सकते हैं। हमें मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थितियों को कम करने हेतु वन विभाग की सहायता करने में प्रसन्नता हो रही है।
जसराना के छेत्रिय वनाधिकारी, सुरेंद्र सारस्वत ने कहा, “हमें खुशी है कि मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से बचा लिया गया और एक अधिक उपयुक्त आवास में छोड़ दिया गया जहां अब वह अच्छे से रहेगा।”
मगरमच्छ जिसे मार्श क्रोकोडाइल भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों का मूल निवासी है।