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मासूम के साथ हुई दरिंदगी मामले में कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक निर्णय, सुनाई फांसी की सज़ा

by admin

आगरा। सात साल की अपनी मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद उसकी निर्ममता से हत्‍या करने वाले कलयुगी पिता को आगरा में विशेष न्यायाधीश (पास्को अधिनियम) वीके जायसवाल ने फांसी की सजा सुना दी है। आगरा में विशेष न्यायाधीश (पास्को अधिनियम) वीके जायसवाल ने इस घृणित अपराध को विरलतम अपराध मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने जब कलयुगी पिता को यह सजा सुनाई तो उसके चेहरे पर कोई शिकन के भाव नहीं थे और उसे पछतावा भी नही था।

एत्मादपुर थाना क्षेत्र में यह घटना नवंबर 2017 में हुई थी। मासूम बच्ची की लाश एक स्कूल में मिली थी। मासूम बच्ची के शव मिलने से लोगों में आक्रोश भी था। मासूम के शव को जिस स्थिति में था उससे साफ था कि बच्चे के साथ दरिंदगी की गई है। पुलिस में जब इस मामले की गहनता से जांच की तो शुरू से ही पिता शक के घेरे में था। पुलिस ने सख्ती से आरोपी पिता से पूछा तो वो टूट गया और पूरा जुर्म कबूल लिया।

आरोपी ने जुर्म कबूलते हुए बताया कि रात को उसने शराब के चार पौव्वे पी लिए। इसके बाद झोंपड़ी में अपनी सात साल की बेटी और नौ साल के बेटे के साथ एक ही चारपाई पर सो गया। रात डेढ़ बजे उसने बच्‍ची को बिस्तर पर ही हवस का शिकार बना लिया। उसकी आवाज सुनकर बेटा उठ गया तो उसे सुला दिया। थोड़ी देर बाद फिर उसने बच्‍ची से दरिंदगी की। इस दौरान उसकी आवाज न निकले इसलिए उसका मुंह भी दबा लिया। अचेत हो जाने पर वह कपड़े पहनकर उसे स्कूल के बरामदे में ले गया। वहां उसे पटककर कपड़े उतारे। इनमें से खून से सनी पजामी झाडिय़ों में फेंक दी और अन्य कपड़े झोंपड़ी में ही डाल दिए। इसके बाद वह सीधा थाने पहुंचा और पुलिस को बताया कि उसकी बेटी को कोई झोंपड़ी से उठाकर ले गया है। पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर खून से सनी बच्‍ची की पजामी झाडिय़ों में से बरामद की और फोरेंसिक टीम ने भी अपने सबूत जुटाए जिन्हें न्यायालय में पेश किया गया।

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी बसंत गुप्ता का कहना है कि पिता को अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। यह पॉक्सो एक्ट में मृत्युदंड का उप्र में पहला ऐतिहासिक निर्णय है। पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाए थे। अदालत में आरोपित के बेटे समेत 16 लोगों की गवाही हुई। अदालत ने इस मामले को निर्भया कांड जैसा मानते हुए विरल से विरलतम की श्रेणी में रखा। उसे मामले में दोषी पाते हुए मृत्युदंड और एक लाख रुपये के आर्थिंक दंड से दंडित किया।

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