आगरा। अपने द्वारा की गई शिकायत मामले में छत्ता वार्ड के एक पार्षद ने निगम अधिकारी पर बाबू को बचाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं निगम अधिकारी ने पार्षद की इस शिकायत को झूठा और निराधार ठहरा दिया है जबकि इस शिकायत पर कोर्ट ने भी दख़ल दिया था।
दरअसल मामला नगर निगम के छत्ता वार्ड के भैरो नाले स्थित प्रॉपर्टी का है जिसको लेकर पार्षद राकेश जैन और पार्षद रवि माथुर ने शिकायत दर्ज कराई थी। पार्षद का कहना है कि 2003 से लेकर 2009 तक नगर निगम ने लाखों का गृहकर का भुगतान करने का नोटिस जारी किया था जिसके विरोध में भवन स्वामी कोर्ट चला गया। इस पर कोर्ट ने नए सिरे से पैमाइश कर गृहकर लगाने के आदेश दिए थे लेकिन 2009 से लेकर 2019 तक बाबुओं ने फ़ाइल को दबा कर रखा। पार्षद राकेश जैन ने नगर निगम के अपर नगर आयुक्त कुंवर बहादुर सिंह से शिकायत की जिसके बाद फ़ाइल को तलाश किया गया।
इन दस सालों में न तो आरोपी बाबुओं पर कार्यवाही की गई और न ही भवन स्वामी का कर निर्धारण किया गया। जबकि 2014 में बिना कर निर्धारण कराए ही नए कर को जमा भी करा लिया गया। इस पूरे मामले की जांच कर रहे अपर नगर आयुक्त पर जांच के नाम पर खानापूर्ति करने और दोषियों को बचाने का पार्षद राकेश जैन ने आरोप लगाया है।
आरोप के मुताबिक अपर नगर आयुक्त के बी सिंह की जांच रिपोर्ट की बात करे तो उन्होंने पार्षद राकेश जैन की शिकायत को न सिर्फ निराधार माना बल्कि शिकायत को झूठा भी बताया है। अपर नगर आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1 अप्रेल 2002 से 31 मार्च 2014 तक कर निर्धारण ही नहीं किया गया। ऐसे में अपर नगर आयुक्त ने खुद मान लिया कि कोर्ट के आदेशों की अवेहलना हुई। बावजूद इसके 2014 से 2019 तक का टैक्स किस आधार पर जमा किया गया इसका कोई जिक्र अपनी रिपोर्ट में नही किया।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि अगर पार्षद की शिकायत झूठी और निराधार है तो इन सब मामलो पर जांच अधिकारी द्वारा दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई।
जांच रिपोर्ट आने के बाद पार्षद राकेश जैन ने अपर नगर आयुक्त के बी सिंह पर भ्रष्टचारियो को बचाने का आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले को सदन में उठने की बात कही। ताकि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होकर दोषियों पर कार्यवाही की जा सके।