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बमरौली कटारा में कोरोना का वज्रपात, अब तक 50 ग्रामीणों की हुई मौत, मदद की राह देख रहा गाँव

by admin
Corona's lightning strikes in Bamrauli Katara, 50 villagers have died so far, the village is looking for help

Agra. कोरोना संक्रमण ग्रामीण भारत मे तेजी के साथ पैर पसार रहा है। एक ओर शासन-प्रशासन कोरोना से निपटने व संक्रमित मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और इलाज उपलब्ध कराने के दावे कर रहा है तो वहीं प्रशासन की कमियों के चलते गांव के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। क्षेत्रीय विधायक और सांसद भी इस महामारी में भी अपने इन वोटरों की सुध तक नहीं ले रहे।

कोरोना का कहर इस समय आगरा जिले के बमरोली कटारा ग्राम पंचायत में बरस रहा है। चुनाव के बाद गांव के लोगों पर कोरोना का वज्रपात हुआ है। आलम ये है कि इस कोरोना काल में चुनाव के बाद से करीब 50 ग्रामीणों की मौत हो गई। गांव के अधिकतर घर बीमारी की चपेट में है। लगातार गांव में बढ़ रही मृत्यु दर से लोग दहशत में है। गांव की भले ही प्रशासन व जनप्रतिनिधि अनदेखी कर रहे हो लेकिन गांव प्रधान पति ग्रामीणों के साथ मिलकर सेनिटाइजेशन का कार्य कर रहे है।

गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र भी है लेकिन इस समय वो सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रहा है। करीब 5 साल पहले बने स्वास्थ केंद्र पर पहले दिन से ताला पड़ा हुआ है। इस महामारी के दौर में भी स्वास्थ्य विभाग ने इस स्वास्थ्य केंद्र को खोलने की जहमत नही उठाई है जिससे लोगों को स्वास्थ्य का लाभ मिल सके।

गांव के उदयसिंह राणा ने बताया कि गांव में करीब 20 दिन के अंदर ही 50 से ज्यादा लोगों की मौते हो गई। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई सूद नही ली है। स्वास्थ्य विभाग की भी कोई टीम नहीं आई है जिससे इस बात की जांच हो सके कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने का कारण क्या है। गांव में घर घर बीमारी से ग्रस्त लोगों की चारपाई बिछी हुई है और कोई सुनवाई करने को तैयार नही है।

उदयसिंह राणा का कहना था कि इस आपदा में भी विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाह और भाजपा सांसद राजकुमार चाहर गांव में नहीं आये और न ही उनके द्वारा गांव के लिए कुछ किया जा रहा है। उनका कहना है कि गांव में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र 5 साल पहले बना था जिसमें आज तक किसी डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ की तैनाती नहीं हो सकी है जिसकी शोभा गेट पर लगे ताले बढ़ा रहे है। ऐसे दौर में भी इस स्वास्थ्य केंद्र को शुरू नही कराया गया है।

गांव के बुजुर्ग और युवाओं ने भी इस कोरोना महामारी में शासन प्रशासन या जनप्रतिनिधियों की किसी भी तरह से मदद करने से इनकार किया है। उनका भी कहना है कि मौतों के बाद भी गांव वालों की न टेस्टिंग हो रही है न इलाज, गांव वालों को खुद ही सेनेटाइजेशन कराना पड़ रहा है।

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