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जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं की खुली पोल, ईलाज़ के लिए सैफई भेजे गए कोरोना संक्रमित मरीज़

by admin

आगरा। कोरोना संक्रमण से चल रही जंग में स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने सबसे अच्छे मॉडल के रूप में पेश कर खूब वाह वाही लूटी लेकिन असलियत इस मॉडल की क्या है अब यह परत दर परत खुलती चली जा रही है। आगरा का मॉडल बस नाम का ही मॉडल रह गया है। आगरा शहर में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए जो इंतजाम आग किए थे अब वह पूरी तरह से ध्वस्त होते चले जा रहे हैं। आलम यह है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को आगरा शहर से दूसरे शहरों में इलाज के लिए भेजा जा रहा है। बीती रात पारस अस्पताल के कर्मचारियों सहित सर्राफा बाजार के संक्रमित और अन्य मरीजों को मिलाकर कुल 70 मरीजों को सैफई इलाज के लिए भेजा गया। इन सभी मरीजों को रोडवेज की दो बसों से सैफई अस्पताल भेजा जाना था लेकिन जैसे ही रोडवेज बसों के ड्राइवरों को पता चला कि इस बस में सभी संक्रमित मरीज आएंगे तो दोनों ड्राइवर बस छोड़कर ही भाग गए। करीब 6 घंटे ड्रामा चलता रहा और फिर प्रशासन ने 10 एंबुलेंस का इंतजाम कर इन संक्रमित मरीजों को सैफई इलाज के लिए भेजा।

आपको बताते चलें कि आगरा जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए एसएन और जिला अस्पताल में 118 बेड का प्रबंध किया है। इतना ही नहीं दो सीएचसी और दो प्राइवेट हॉस्पिटल में भी कोविड का इलाज किया जा रहा है। 20 से अधिक क्वॉरेंटाइन सेंटर हैं। इन सेंट्रल का हाल क्या है यह किसी से छुपा नहीं है क्योंकि आए दिन इन क्वॉरेंटाइन सेंटरों की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।

आलम यह है कि आगरा में कोरोना संक्रमण तेजी के साथ बढ़ रहा है जिससे कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। शायद अब जिला प्रशासन के पास इन मरीजों की भर्ती करने की जगह नहीं है या फिर उपयुक्त व्यवस्था के साथ इंतजामात नहीं है, इसलिए जिला प्रशासन कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए दूसरों जिलों में भेजा रहा है। पिछले दिनों आगरा से कोरोना संक्रमित मरीजों को मथुरा और फिरोजाबाद भी भेजा गया था।

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